देश में उच्च शिक्षा (Higher Education) और प्रबंधन (Management) के क्षेत्र को एक नई ऊंचाई देते हुए, संसद ने भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2025 (Indian Institute of Management (IIM) (Amendment) Bill, 2025) को अपनी मंजूरी दे दी है। राज्यसभा में इस बिल के पास होने के साथ ही, अब असम के गुवाहाटी (Guwahati, Assam) में देश के 22वें भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) की स्थापना का रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने राज्यसभा में इसकी घोषणा करते हुए कहा कि इस प्रतिष्ठित संस्थान की स्थापना के लिए केंद्र सरकार ₹555 करोड़ का निवेश करेगी, और सबसे अच्छी खबर यह है कि एडमिशन इसी शैक्षणिक वर्ष से शुरू हो जाएंगे। इस बिल को लोकसभा ने मंगलवार को ही पारित कर दिया था।
पूर्वोत्तर के लिए एक ऐतिहासिक कदम
गुवाहाटी में IIM की स्थापना को पूर्वोत्तर क्षेत्र (Northeast Region) के विकास और शैक्षणिक सशक्तिकरण के लिए एक ऐतिहासिक और मील का पत्थर माना जा रहा है।
- विकास का नया इंजन: यह नया IIM न केवल असम, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर के लिए अवसरों के नए द्वार खोलेगा। यह क्षेत्र में एक नया शैक्षणिक और व्यावसायिक माहौल तैयार करेगा, जिससे स्थानीय युवाओं को विश्व स्तरीय प्रबंधन शिक्षा के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- ‘ब्रेन ड्रेन’ पर लगेगी लगाम: अब तक, पूर्वोत्तर के कई प्रतिभाशाली छात्रों को IIM जैसी प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ने के लिए दिल्ली, मुंबई, या बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों का रुख करना पड़ता था। अब गुवाहाटी में IIM खुलने से ‘ब्रेन ड्रेन’ पर रोक लगेगी और स्थानीय प्रतिभाओं को अपने ही क्षेत्र में रहकर अपने कौशल को निखारने का मौका मिलेगा।
विपक्ष के बॉयकॉट के बीच पास हुआ बिल
बुधवार को जब यह महत्वपूर्ण बिल राज्यसभा में पेश किया गया, तो विपक्षी सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision of electoral rolls) के विवादास्पद मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी दलों ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार (boycotted) किया था। विपक्ष की अनुपस्थिति में ही यह विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया। अब इस बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद यह कानून का रूप ले लेगा।
53 साल बनाम 10 साल: धर्मेंद्र प्रधान ने पिछली सरकारों पर साधा निशाना
बिल पर हुई संक्षिप्त बहस का जवाब देते हुए, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नए IIM को दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के भारत के लक्ष्य में एक महत्वपूर्ण योगदान बताया। उन्होंने पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए आंकड़ों के जरिए मोदी सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।
- प्रधान ने कहा, “1961 से देश में IIM काम कर रहे हैं। 1961 से 2014 तक, 53 वर्षों के अंतराल में, क्रमिक सरकारें केवल 13 IIM ही बना सकीं।” उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी शासन के तहत 10 वर्षों में 9 नए IIM स्थापित किए गए हैं।
- छात्रों की संख्या में भारी वृद्धि: उन्होंने आगे कहा, “2013-14 में, सभी 13 IIM में छात्रों की कुल संख्या 3,500 थी। आज, 2024-25 में, छात्रों की संख्या बढ़कर 9,800 हो गई है, जो नए संस्थान बनाने और हमारे देश में कई छात्रों को अवसर देने के प्रति हमारी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”
यह फैसला निस्संदेह भारत के शिक्षा जगत, विशेष रूप से पूर्वोत्तर के लिए एक बड़ी सौगात है, जो आने वाले वर्षों में देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।







