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Pradosh Vrat 2025: आज बना 4 शुभ योगों का महासंयोग, संतान प्राप्ति के लिए ऐसे करें शिव पूजा

Published On: August 20, 2025
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Pradosh Vrat 2025: आज बना 4 शुभ योगों का महासंयोग, संतान प्राप्ति के लिए ऐसे करें शिव पूजा
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देवों के देव महादेव, भगवान शिव को समर्पित सबसे पवित्र व्रतों में से एक, प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat), आज यानी बुधवार, 20 अगस्त को रखा जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने की त्रयोदशी तिथि (Trayodashi Tithi) को प्रदोष का व्रत किया जाता है। लेकिन इस बार का प्रदोष व्रत बेहद खास और दुर्लभ है, क्योंकि यह पवित्र भाद्रपद (भादो) महीने का पहला प्रदोष व्रत है और बुधवार के दिन पड़ रहा है, जिससे यह बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) बन गया है।

मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना करने से जीवन के सभी कष्ट, रोग और दोष दूर हो जाते हैं और भोले बाबा का असीम आशीर्वाद प्राप्त होता है। जब यह व्रत बुधवार के दिन पड़ता है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। बुध प्रदोष व्रत विशेष रूप से संतान प्राप्ति, सुख-समृद्धि, और करियर में सफलता की कामना के लिए उत्तम माना जाता है।

इस साल भादो के पहले बुध प्रदोष व्रत पर चार महाशुभ योगों का एक साथ निर्माण हो रहा है, जो इस दिन की शुभता को कई गुना बढ़ा रहा है।

बुध प्रदोष पर बना 4 शुभ योगों का महासंयोग

आज का दिन पूजा-पाठ और शुभ कार्यों के लिए अत्यंत फलदायी है क्योंकि इस दिन चार शक्तिशाली योग एक साथ बन रहे हैं:

  1. गुरु पुष्य योग (Guru Pushya Yoga): यह योग ज्योतिष में बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन सोना, चांदी, आभूषण, वाहन या कोई अन्य कीमती वस्तु खरीदना अत्यंत शुभ और लाभकारी होता है।
  2. अमृत सिद्धि योग (Amrit Siddhi Yoga): जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इस योग में किए गए सभी कार्यों में अमृत के समान फल मिलता है और वे निश्चित रूप से सफल होते हैं।
  3. सर्वार्थ सिद्धि योग (Sarvartha Siddhi Yoga): ज्योतिष में इसे बहुत ही शुभ और मंगलकारी योग माना गया है। इस शुभ घड़ी में शुरू किए गए सभी कार्य बिना किसी बाधा के सिद्ध यानी सफल हो जाते हैं।
  4. द्विपुष्कर योग (Dwipushkar Yoga): यह भी एक बहुत ही शुभ योग है, और इस योग में किए गए पुण्य कार्यों का फल दोगुना होकर मिलता है।

शुभ मुहूर्त और पूजा का सबसे अच्छा समय

  • त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ: 20 अगस्त 2025, बुधवार को दोपहर 01:58 बजे से।
  • त्रयोदशी तिथि की समाप्ति: 21 अगस्त 2025, गुरुवार को दोपहर 12:44 बजे तक।
  • पूजा का सबसे शुभ समय (प्रदोष काल): संध्या 06:56 बजे से रात्रि 09:07 बजे तक

प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद और रात्रि के आरंभ के बीच के समय को कहा जाता है, और इसी समय में भगवान शिव की पूजा सबसे अधिक फलदायी मानी जाती है।

व्रत, पूजा विधि और आवश्यक सामग्री

इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि-विधान से शिव-पार्वती की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

पूजन सामग्री:
धूप, दीप, घी, सफेद फूल और माला, आक का फूल (आंकड़े का फूल), सफेद वस्त्र, सफेद मिठाई, चंदन, जल से भरा कलश, कपूर, आरती की थाली, बेल-पत्र (Belpatra)धतूरा (Dhatura)भांग (Bhang), आम की लकड़ी और हवन सामग्री।

व्रत और पूजा विधि:

  1. व्रती को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए और भगवान शिव का ध्यान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
  2. पूरे दिन “ॐ नमः शिवाय” (“Om Namah Shivay”) का मन ही मन जाप करते रहें और अपनी क्षमता के अनुसार निराहार या फलाहार व्रत रखें।
  3. प्रदोष काल में, यानी शाम के समय, पुनः स्नान करें और श्वेत (सफेद) वस्त्र धारण करें।
  4. पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें, एक मंडप बनाएं और पांच रंगों से एक सुंदर रंगोली बनाएं।
  5. एक कलश में शुद्ध जल भरकर उसे पूजा स्थल पर स्थापित करें और कुश के आसन पर बैठकर पूरे विधि-विधान से शिव-पार्वती का पूजन करें।
  6. शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घी से अभिषेक करें। उसके बाद बेलपत्र, धतूरा, भांग, पुष्प और चंदन अर्पित करें।
  7. अंत में, “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते हुए शिवजी का ध्यान करें और उनकी आरती उतारें।

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