मतदाता सूची (Voter List) में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों पर राजनीतिक घमासान और तेज हो गया है। इस मामले में अब तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष एम. अप्पावु (M. Appavu) भी कूद पड़े हैं और उन्होंने चुनाव आयोग (Election Commission – EC) को बुरी तरह कटघरे में खड़ा कर दिया है। स्पीकर अप्पावु ने एक कड़ा बयान देते हुए कहा है कि चुनाव आयोग को विपक्ष के नेता द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देना चाहिए, न कि सबूत मांगने के नाम पर उन्हें डराने-धमकाने और दबाव बनाने का काम करना चाहिए।
“यह जवाबदेही है, जबरदस्ती नहीं” – स्पीकर अप्पावु ने EC को घेरा
विधानसभा अध्यक्ष ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि चुनाव आयोग की यह प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वह लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) द्वारा लगाए गए सबसे गंभीर आरोपों का तथ्यात्मक रूप से जवाब दे। राहुल गांधी ने मतदाता सूची से बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम हटाने और संदिग्ध रूप से लाखों नए मतदाताओं के नाम जोड़ने का आरोप लगाया है।
स्पीकर अप्पावु ने कहा:
“चुनाव आयोग, जिसकी जिम्मेदारी लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए सबसे गंभीर आरोपों का जवाब देने की है, वह उनसे सबूत के साथ वास्तविक सवाल उठाने के बजाय उन पर दबाव बना रहा है।”
उनका यह बयान चुनाव आयोग द्वारा राहुल गांधी से आरोपों के सबूत मांगने के संदर्भ में आया है। स्पीकर ने स्पष्ट किया कि एक संवैधानिक संस्था का काम विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों पर पारदर्शिता दिखाना है, न कि सवाल उठाने वाले को ही चुप कराने की कोशिश करना।
पारदर्शिता चुनाव आयोग की जिम्मेदारी
एम. अप्पावु ने चुनाव आयोग को उसकी जिम्मेदारियों की याद दिलाते हुए कहा कि मतदाता सूची तैयार करने से लेकर स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से चुनाव कराने तक, चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता (transparency) सुनिश्चित करना आयोग का परम कर्तव्य है।
उन्होंने कहा कि मतदाता सूची से हटाए गए भारी संख्या में मतदाताओं और ऐसे नए मतदाताओं को जोड़ने, जो दिए गए पते पर भौतिक रूप से उपलब्ध ही नहीं हैं, के बारे में विवरण साझा करने से इनकार करना किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं होगा। यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और चुनावी प्रक्रिया में जनता के विश्वास को कमजोर करता है।
राज्य की नई शिक्षा नीति की भी की तारीफ
इस राजनीतिक मुद्दे के अलावा, स्पीकर अप्पावु ने राज्य की नई शिक्षा नीति (State Education Policy) पर भी बात की। उन्होंने इसकी प्रशंसा करते हुए कहा कि इसे गरीबों और मध्यम वर्ग के उत्थान के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है।
“जनता ने इसका खुले दिल से स्वागत किया है क्योंकि इसका मकसद आम आदमी के बच्चों का उत्थान करना है,” श्री अप्पावु ने कहा।
निष्कर्ष: तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष के इस बयान ने वोटर लिस्ट विवाद को एक नया और गंभीर मोड़ दे दिया है। अब यह मामला सिर्फ राहुल गांधी के आरोपों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था की जवाबदेही और कार्यप्रणाली पर एक बड़ा सवाल बन गया है।







