प्रयागराज, उत्तर प्रदेश: शुक्रवार को उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय (UP Rajarshi Tandon Open University – UPTRDOU), प्रयागराज में भारत रत्न राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन (Rajarshi Purushottam Das Tandon) का जन्मदिन अत्यंत धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सरस्वती परिसर स्थित अटल प्रेक्षागृह में ‘अष्टादश राजर्षि टंडन स्मृति व्याख्यानमाला’ का आयोजन किया गया, जिसमें शिक्षार्थियों को टैबलेट वितरित किए गए और मुक्त विश्वविद्यालय व नारायणी अस्पताल के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर भी किए गए।
भारतीय ज्ञान परंपरा और राजर्षि टंडन का संघर्ष:
व्याख्यानमाला के मुख्य वक्ता, भारतीय प्रबंधन संस्थान, तिरुचिरापल्ली (IIM Trichy), तमिलनाडु के निदेशक प्रोफेसर पी.के. सिंह (Prof. P.K. Singh) ने “वैश्विक कल्याण एवं भारतीय ज्ञान परंपरा” विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने राजर्षि टंडन को मौलिकता के लिए संघर्ष करने वाले एक महान व्यक्ति के रूप में याद किया। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि राजर्षि टंडन ने हमेशा मूल्यों और हिंदी भाषा के विकास के लिए अथक प्रयास किए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए भारतीय ज्ञान परंपरा में अनेक उदाहरण मिलते हैं, और सत्य तथा सनातन जैसे मूल्यों के साथ आगे बढ़ने से सफलता अवश्य मिलती है। उन्होंने वेद-पुराणों जैसे भारतीय ग्रंथों का उल्लेख करते हुए कहा कि इनमें भाषा और मूल्यों के प्रति समर्पण के ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिनसे पूरी दुनिया सीख सकती है। दूरस्थ शिक्षा को वर्तमान समय के लिए बेहद उपयोगी बताते हुए, उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को न केवल पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए, बल्कि उसे जीवन में भी उतारना चाहिए।
मुख्य अतिथि का संबोधन: विश्वविद्यालय की प्रगति और भविष्य की दिशा
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOOU), नई दिल्ली के पूर्व कुलपति प्रोफेसर नागेश्वर राव (Prof. Nageshwar Rao) ने राजर्षि टंडन के जीवन आदर्शों को वर्तमान समय के लिए अत्यंत प्रासंगिक बताया। उन्होंने मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा पिछले वर्षों में की गई उल्लेखनीय प्रगति की सराहना की। प्रोफेसर राव ने कहा कि भविष्य स्वयं (Swayam), स्वयंप्रभा चैनल (Swayam Prabha Channel) और ऑनलाइन कोर्सेज का है। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम (Prof. Satyakam) के जुझारू नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए आशा व्यक्त की कि विश्वविद्यालय अवश्य ही यह मुकाम हासिल करेगा। उन्होंने विश्वविद्यालय को ’12B’ की मान्यता मिलने पर कुलपति को विशेष बधाई दी।
सारस्वत अतिथि का वक्तव्य: सादगी, गुरु-शिष्य परंपरा और संस्कृति का प्रसार
कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि, उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. नरेंद्र कुमार सिंह गौर (Dr. Narendra Kumar Singh Gaur) ने कहा कि राजर्षि टंडन का जीवन अत्यधिक सादगीपूर्ण था। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा में गुरु-शिष्य परंपरा के विशेष स्थान को रेखांकित किया। डॉ. गौर ने कहा कि मुक्त विश्वविद्यालय दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से न केवल शिक्षार्थियों की बौद्धिक और शैक्षणिक समझ बढ़ा रहा है, बल्कि भारतीय संस्कृति और विचारों को भी जन-जन तक पहुंचा रहा है। उन्होंने प्रयागराज के कुंभ मेले का उदाहरण देते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में कई धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव हैं, जो दुनिया भर से ज्ञान प्राप्त करने आए लोगों का संगम स्थल बनते हैं।
कुलपति का आभार: हिंदी भाषा और वैश्विक चुनौतियों पर भारतीय ज्ञान की प्रासंगिकता
विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रोफेसर सत्यकाम ने अध्यक्षता करते हुए राजर्षि टंडन के हिंदी भाषा के विकास और संरक्षण में दिए गए अमूल्य योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा और राजर्षि टंडन के जीवन आदर्श आज की वैश्विक चुनौतियों, जैसे कि युद्ध, बाजारवाद और आतंकवाद, के समाधान के लिए एक मार्गदर्शिका का काम कर सकते हैं। प्रोफेसर सत्यकाम ने इस बात पर भी जोर दिया कि शिक्षक और शिक्षार्थी के बीच संबंध आत्मिक स्तर पर होते हैं, जो शिक्षार्थी के सर्वांगीण विकास में सहायक होते हैं। उन्होंने कहा कि दूरस्थ शिक्षा पद्धति ने पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में एक सकारात्मक बदलाव लाया है, जो छात्रों के लिए उपयोगी और रचनात्मक है।
कार्यक्रम का समापन:
व्याख्यानमाला का विषय प्रवर्तन और अतिथियों का स्वागत प्रोफेसर पी.के. पांडेय ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. त्रिविक्रम तिवारी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव कर्नल विनय कुमार ने दिया। इस अवसर पर प्रोफेसर पी.के. साहू, डॉ. एम.एन. सिंह, डॉ. एस.एस. बनर्जी, डॉ. एस.पी. सिंह, श्रीमती पूनम मिश्रा, दीपक सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
टैबलेट वितरण और स्वास्थ्य सुविधा हेतु MoU:
इसी अवसर पर, स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत विश्वविद्यालय में नामांकित शिक्षार्थियों को टैबलेट भी वितरित किए गए, जिससे डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही, विश्वविद्यालय कर्मियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, विश्वविद्यालय और नारायणी अस्पताल (Narayani Hospital) के मध्य एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। कार्यक्रम की शुरुआत में, अतिथियों ने परिसर में स्थापित राजर्षि टंडन की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस संबंध में विस्तृत जानकारी जनसंपर्क अधिकारी डॉ. प्रभात चंद्र मिश्र ने प्रदान की।







