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“EC कर रहा है वोट चोरी” राहुल गांधी का सनसनीखेज दावा, बोले- मेरे पास हैं परमाणु बम जैसे सबूत

Published On: August 1, 2025
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EC कर रहा है वोट चोरी!" राहुल गांधी का सनसनीखेज दावा, बोले- "मेरे पास हैं परमाणु बम जैसे सबूत
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लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने शुक्रवार को चुनाव आयोग (Election Commission – EC) पर “वोट चोरी” (Vote chori) का बेहद गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि उनके पास इसके “ठोस और अचूक सबूत” (open and shut proof) हैं और चुनाव आयोग भाजपा (BJP) के इशारे पर काम कर रहा है। राहुल गांधी ने यह भी चेतावनी दी कि जब उनके हाथ से यह “परमाणु बम” (atom bomb) फूटेगा, तो देश को पता चल जाएगा और चुनाव आयोग का अस्तित्व ही गायब हो जाएगा।

“चुनाव आयोग कर रहा है वोट की चोरी” – राहुल गांधी का आरोप:
संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए, कांग्रेस सांसद ने कहा, “हमारे पास यह साबित करने के लिए 100% सबूत हैं कि चुनाव आयोग वोट चोरी में शामिल है।” उन्होंने आगे कहा, “जैसे ही हम इसे जारी करेंगे, पूरा देश जान जाएगा कि चुनाव आयोग वोट चुराने के लिए भाजपा के लिए काम कर रहा है। हमें मध्य प्रदेश चुनावों, लोकसभा चुनावों में शक था, और महाराष्ट्र चुनावों के दौरान हमारे शक और बढ़े। हमने छह महीने तक अपनी खुद की जांच की, और जो हमें मिला वह एक परमाणु बम जैसा है।”

“यह देशद्रोह है, हम बख्शेंगे नहीं”:
राहुल गांधी ने चेतावली दी, “जब यह परमाणु बम फूटेगा, तो देश में कहीं भी चुनाव आयोग दिखाई नहीं देगा। जो कोई भी चुनाव आयोग में यह कर रहा है, शीर्ष से लेकर नीचे तक… हम उन्हें बख्शेंगे नहीं क्योंकि वे भारत के खिलाफ काम कर रहे हैं। यह देशद्रोह है, इससे कम कुछ नहीं।”

बिहार SIR और मतदाता सूची पर सवाल:
राहुल गांधी की यह टिप्पणियाँ उस समय आई हैं जब चुनाव आयोग आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से पहले महीने भर चली विशेष गहन संशोधन (Special Intensive Revision – SIR) प्रक्रिया को पूरा करने के बाद मसौदा मतदाता सूची (draft electoral rolls) प्रकाशित कर रहा है। हालाँकि, कोई संकलित सूची (compiled list) उपलब्ध नहीं कराई गई है, मतदाता अपने नाम EC की वेबसाइट पर देख सकते हैं।

  • SIR प्रक्रिया: SIR प्रक्रिया के पहले चरण में, मतदाताओं को बूथ-स्तरीय अधिकारियों (BLOs) या पार्टियों द्वारा नियुक्त बूथ-स्तरीय एजेंटों (BLAs) के माध्यम से “नामांकन फॉर्म” (enumeration forms) प्राप्त हुए थे। मतदाताओं को इन फॉर्मों को भरकर, हस्ताक्षर करके और वैध पहचान दस्तावेज़ संलग्न करके जमा करना था। वे ऑनलाइन फॉर्म डाउनलोड और जमा भी कर सकते थे। यह चरण 25 जुलाई को समाप्त हुआ।
  • आंकड़े: चुनाव आयोग के अनुसार, कुल 7.23 करोड़ मतदाताओं ने अपने नामांकन फॉर्म जमा किए। लगभग 35 लाख लोगों के स्थायी रूप से प्रवासित होने या पता न चल पाने की सूचना मिली। इसके अतिरिक्त, 22 लाख मतदाताओं के मृत घोषित होने और सात लाख के एक से अधिक चुनावी रोल में पंजीकृत होने की जानकारी मिली। EC ने यह भी बताया कि 1.2 लाख मतदाताओं ने नामांकन फॉर्म जमा नहीं किए।

विपक्ष की मांग और पारदर्शिता का मुद्दा:
यह ध्यान देने योग्य है कि बिहार में SIR को लेकर विपक्षी दलों ने चुनावों से कुछ महीने पहले मतदाता सूची में बदलाव की जल्दबाजी पर सवाल उठाए थे। उन्होंने तर्क दिया था कि यह अभ्यास पहले किया जा सकता था और जिनके पास आवश्यक दस्तावेज नहीं हैं, विशेषकर पिछड़े समुदायों से, वे वोट देने के अपने अधिकार से वंचित हो जाएंगे। TMC सांसद महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) ने बिहार SIR को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी है, और दावा किया है कि यह अभ्यास NRC के समान है, जहां दस्तावेज जमा न करने वाले को प्रक्रियात्मक सुरक्षा के बिना सूची से हटा दिया जाएगा।

क्या भारतीय चुनाव प्रक्रिया को अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता है?
यह पूरी घटनाक्रम भारत की चुनावी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर महत्वपूर्ण सवाल खड़े करता है। राहुल गांधी के आरोप, चाहे वे कितने भी विवादास्पद क्यों न हों, चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं के प्रति जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए पारदर्शी कामकाज की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।


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