अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत के खिलाफ व्यापारिक मोर्चे पर एक बड़ा कदम उठाते हुए 25% टैरिफ (शुल्क) लगाने की घोषणा की है। सिर्फ इतना ही नहीं, ट्रम्प प्रशासन ने भारत द्वारा रूसी ऊर्जा और हथियारों की खरीद के कारण एक अतिरिक्त, “अनिर्दिष्ट ‘पेनाल्टी’ टैरिफ” लगाने की भी चेतावनी दी है। चौंकाने वाली बात यह है कि राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस ‘पेनाल्टी’ के लिए BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) जैसे बहुराष्ट्रीय समूह में भारत की सदस्यता को भी एक वजह बताया है। उन्होंने एक रिपोर्टर से बातचीत के दौरान इस बात के संकेत दिए कि इस मामले पर भारत के साथ negotiations (बातचीत) चल रही है।
ट्रम्प की दोहरी चाल: 25% टैरिफ और रूस के साथ रिश्तों पर “पेनाल्टी”
डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने एक बयान में कहा कि वे भारत के साथ टैरिफ दर पर अभी बातचीत कर रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि रूस के प्रति “समर्थन” के एवज में यह अतिरिक्त पेनाल्टी टैरिफ कितना होगा, तो उन्होंने सीधे तौर पर राशि का उल्लेख नहीं किया, लेकिन यह साफ कर दिया कि भारत के रूस के साथ ऊर्जा और रक्षा सौदे उनके निशाने पर हैं। यह अमेरिकी प्रशासन की विदेश नीति के उस रवैये को दर्शाता है, जो अन्य देशों पर अपने नियमों को थोपने की कोशिश करता है।
BRICS सदस्यता पर भी निशाना: क्या है ‘पेनाल्टी’ का नया बहाना?
ट्रम्प के बयान की सबसे हैरान करने वाली बात यह थी कि उन्होंने इस “पेनाल्टी” का संबंध सीधे तौर पर भारत की BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में सदस्यता से जोड़ा। उनका यह बयान अंतरराष्ट्रीय संबंधों और आर्थिक कूटनीति में एक नए आयाम को जोड़ता है। BRICS समूह, जिसका भारत एक महत्वपूर्ण सदस्य है, विभिन्न उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक मंच है। ट्रम्प प्रशासन का यह रवैया संकेत देता है कि वे उन देशों को निशाना बनाने की कोशिश कर सकते हैं जो उनके प्रभाव क्षेत्र से बाहर जाकर अपने रणनीतिक हित साध रहे हैं। इससे भारत जैसे देशों पर कूटनीतिक और आर्थिक दोनों तरह का दबाव बनाने की रणनीति स्पष्ट होती है।
क्या हैं इसके मायने? भारत पर चौतरफा दबाव की कोशिश
राष्ट्रपति ट्रम्प का यह कदम कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
- व्यापारिक प्रतिबंध: 25% का टैरिफ भारत के निर्यात को अमेरिकी बाजार में महंगा बना देगा, जिससे व्यापार घाटे को कम करने के ट्रम्प के वादे को पूरा करने का प्रयास होगा।
- भू-राजनीतिक दबाव: रूस के साथ भारत के रणनीतिक संबंधों को लेकर की गई ‘पेनाल्टी’ की बात, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को अलग-थलग करने या अपनी शर्तों पर चलने के लिए मजबूर करने का संकेत है।
- BRICS पर अप्रत्यक्ष हमला: BRICS सदस्यता को ‘पेनाल्टी’ का कारण बताना, इस समूह की प्रभावशीलता और सदस्यों के बीच एकता को कमजोर करने की एक कूटनीतिक चाल हो सकती है।
भविष्य की राह: बातचीत और अनिश्चितता
हालांकि डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि वे “अभी बातचीत कर रहे हैं”, यह स्थिति भारत के लिए कूटनीतिक रूप से नाजुक है। भारत हमेशा से अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता आया है और उसने किसी भी देश के दबाव में आकर अपनी विदेश या रक्षा नीतियों से समझौता नहीं किया है। आने वाले समय में देखना होगा कि इन टैरिफ और ‘पेनाल्टी’ प्रस्तावों का भारत-अमेरिका संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ता है, और भारत इस चुनौती का सामना कूटनीति के माध्यम से कैसे करता है।
यह घटनाक्रम वैश्विक व्यापार और भू-राजनीति में चल रहे बदलावों का एक स्पष्ट उदाहरण है, जहाँ आर्थिक नीतियाँ अक्सर बड़े भू-राजनीतिक समीकरणों से जुड़ी होती हैं।