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‘ऑपरेशन सिंदूर’ की पूरी कहानी: 22 मिनट में 100+ आतंकी ढेर, जानें संसद में रक्षा मंत्री ने क्या-क्या कहा

Published On: July 28, 2025
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'ऑपरेशन सिंदूर' की पूरी कहानी: 22 मिनट में 100+ आतंकी ढेर, जानें संसद में रक्षा मंत्री ने क्या-क्या कहा
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ पर हुई बहस में सरकार का पक्ष जोरदार तरीके से रखा। उन्होंने विपक्ष के आरोपों का बिंदु-दर-बिंदु जवाब दिया और इस सैन्य अभियान की सफलता और इसके पीछे की राष्ट्रीय इच्छाशक्ति को देश के सामने प्रस्तुत किया।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor), 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन में हुए उस नरसंहार के बाद की गई एक जवाबी कार्रवाई थी, जिसमें 22 नागरिकों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में सक्रिय आतंकवादियों और उनके बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया था।

रक्षा मंत्री ने दोहराया कि मिशन को बिना किसी बाहरी दबाव के रोका गया था, और इस तरह के किसी भी दावे को “पूरी तरह से निराधार” बताकर खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भारत अब वह देश नहीं रहा जो कभी हुआ करता था। आज, डोजियर की जगह निर्णायक कार्रवाई ने ले ली है। भारत अब आतंक को बर्दाश्त नहीं करता; वह जवाब देता है। और अब उसके पास आतंकवाद की जड़ पर प्रहार करके उसे पूरी तरह से उखाड़ फेंकने की ताकत है।”

‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर राजनाथ सिंह ने क्या कहा?

  • 100 से ज्यादा आतंकी ढेर: राजनाथ सिंह ने कहा, “पहलगाम हमले के तुरंत बाद, हमारी सशस्त्र सेनाओं ने कार्रवाई की और नौ आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमला किया, जिसमें 100 से अधिक आतंकवादी, उनके प्रशिक्षक और हैंडलर मारे गए।”
  • आतंकी संगठनों पर प्रहार: उन्होंने कहा: “इस सैन्य अभियान में, यह अनुमान है कि सौ से अधिक आतंकवादी, उनके प्रशिक्षक, हैंडलर और सहयोगी मारे गए। इनमें से अधिकांश जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठनों से जुड़े थे।”
  • सिर्फ 22 मिनट में खत्म हुआ ऑपरेशन: उन्होंने लोकसभा में बताया, “पूरा ऑपरेशन 22 मिनट के भीतर समाप्त हो गया था।
  • आत्मरक्षा में की गई कार्रवाई: मंत्री ने कहा, “हमारी कार्रवाई पूरी तरह से आत्मरक्षा में थी, न तो उत्तेजक और न ही विस्तारवादी। फिर भी, 10 मई, 2025 को लगभग 1.30 बजे, पाकिस्तान ने मिसाइलों, ड्रोनों, रॉकेटों और अन्य लंबी दूरी के हथियारों का उपयोग करके भारत पर एक बड़े पैमाने पर हमला किया।”

‘ऑपरेशन सिंदूर’ रोकने पर राजनाथ सिंह का जवाब

“भारत ने अपनी कार्रवाई इसलिए रोकी क्योंकि पूर्व-निर्धारित राजनीतिक और सैन्य उद्देश्य हासिल कर लिए गए थे। यह कहना कि यह ऑपरेशन किसी भी दबाव में रोका गया था, निराधार और बिल्कुल गलत है… अपने राजनीतिक जीवन में, मैंने हमेशा झूठ न बोलने की कोशिश की है,” मंत्री ने कहा।

उन्होंने चेतावनी दी, “10 मई को, जब भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के कई हवाई अड्डों पर जोरदार हमला किया, तो पाकिस्तान ने हार मान ली और शत्रुता समाप्त करने की पेशकश की। इस प्रस्ताव को इस शर्त के साथ स्वीकार कर लिया गया कि यह ऑपरेशन केवल रोका गया है। यदि भविष्य में पाकिस्तान की ओर से कोई दुस्साहस होता है, तो यह ऑपरेशन फिर से शुरू किया जाएगा।”

भारतीय रक्षा प्रणाली पर क्या बोले राजनाथ सिंह?

रक्षा मंत्री ने कहा, “S-400, आकाश मिसाइल प्रणाली, और एयर डिफेंस गन बहुत उपयोगी साबित हुईं और पाकिस्तान द्वारा किए गए इस हमले को पूरी तरह से विफल कर दिया।” उन्होंने गर्व से कहा, “हमारी वायु रक्षा प्रणाली, काउंटर-ड्रोन प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों ने पाकिस्तान के इस हमले को पूरी तरह से नाकाम कर दिया। पाकिस्तान हमारे किसी भी लक्ष्य को भेद नहीं सका, और हमारी कोई भी महत्वपूर्ण संपत्ति क्षतिग्रस्त नहीं हुई। हमारी सुरक्षा व्यवस्था अभेद्य थी, और हर हमले को विफल कर दिया गया।”

उन्होंने लोकसभा में कहा, “भारत ने न केवल अपनी सैन्य ताकत, बल्कि अपनी राष्ट्रीय इच्छाशक्ति, नैतिक स्पष्टता और राजनीतिक परिपक्वता का भी प्रदर्शन किया है। अब से, आतंकवाद के हर कृत्य का एक निर्णायक और स्पष्ट जवाब दिया जाएगा। हमने एक नई लक्ष्मण रेखा खींची है… आतंकवाद को शरण और समर्थन देने वालों को कोई शरण नहीं मिलेगी। भारत परमाणु ब्लैकमेल या किसी भी प्रकार के बाहरी दबाव के आगे नहीं झुकेगा।”

विपक्ष पर साधा निशाना

विपक्ष को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, “यदि आपको कुछ सवाल करना ही है, तो यह पूछें कि क्या ऑपरेशन सिंदूर ने अपना उद्देश्य हासिल किया? जवाब है हां। पूछें कि क्या हमारी सेनाओं ने हमारी बहनों और बेटियों की गरिमा को भंग करने वालों के सरगनाओं को मार गिराया… जवाब है हां।”

उन्होंने आगे कहा, “जब लक्ष्य बड़े हों, तो हमें अपेक्षाकृत छोटे मुद्दों से विचलित नहीं होना चाहिए। मामूली मामलों पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करना राष्ट्रीय सुरक्षा और हमारे सैनिकों के मनोबल और सम्मान जैसे कहीं अधिक महत्वपूर्ण चिंताओं से ध्यान भटका सकता है। दुर्भाग्य से, विपक्ष में हमारे कुछ सहयोगियों के साथ ठीक यही होता दिख रहा है।”

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