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BPCL, IOCL, HPCL की अमेरिका से नई दोस्ती: जानिए क्या हैं इस साझेदारी के मायने

Published On: July 22, 2025
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BPCL, IOCL, HPCL की अमेरिका से नई दोस्ती: जानिए क्या हैं इस साझेदारी के मायने
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भारत (India) की प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों (Public Sector Oil Companies) – इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL), और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) – के एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल (High-level Delegation) ने ह्यूस्टन, अमेरिका (Houston, USA) का दौरा किया। इस यात्रा का उद्देश्य अमेरिकी ऊर्जा कंपनियों (US Energy Companies) के साथ दीर्घकालिक एलपीजी आपूर्ति सहयोग (Long-term LPG Supply Collaborations) को मजबूत करना था। यह दौरा भारत के ऊर्जा कूटनीति (India’s Energy Diplomacy) और ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) के एजेंडे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

LPG आयात में विविधता: अमेरिकी से 10% आपूर्ति का लक्ष्य

उद्योग सूत्रों (Industry Sources) के अनुसार, भारत की एलपीजी आयात (LPG Imports) को विविध (Diversify) करने की योजना है, जिसके तहत 2026 से अमेरिका से लगभग 10% कुकिंग गैस (Cooking Gas) का आयात किया जाएगा। यह कदम मध्य पूर्व (Middle East) पर अपनी निर्भरता कम करने और आपूर्ति श्रृंखलाओं (Supply Chains) में लचीलापन (Resilience) लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

द्विपक्षीय ऊर्जा सहयोग को मजबूत करना:

ह्यूस्टन में हुई चर्चाओं ने आपूर्ति तंत्र (Supply Mechanisms), मूल्य निर्धारण ढांचे (Pricing Frameworks), और टिकाऊ दीर्घकालिक अनुबंधों (Sustainable Long-term Contracts) पर प्रकाश डाला। ये प्रयास भारत के व्यापक एजेंडे (Broader Agenda) के साथ संरेखित होते हैं, जिसमें सुरक्षित (Secure), सस्ती (Affordable), और विविध ऊर्जा स्रोत (Diversified Energy Sources) सुनिश्चित करना शामिल है।

राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा आत्मनिर्भरता:

वर्तमान में, भारत अपने एलपीजी का अधिकांश हिस्सा खाड़ी क्षेत्र (Gulf Region) से आयात करता है। अमेरिका से एलपीजी आयात को बढ़ाने से न केवल ऊर्जा स्रोतों में विविधता (Diversification of Energy Sources) आएगी, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) भी मजबूत होगी, क्योंकि यह किसी एक क्षेत्र पर निर्भरता को कम करता है।

अमेरिकी ऊर्जा कंपनियों के साथ बातचीत:

भारतीय प्रतिनिधिमंडल (Indian Delegation) में IOC, BPCL, HPCL और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (Ministry of Petroleum & Natural Gas) के प्रमुख नेता शामिल थे। ह्यूस्टन में उनकी ऊर्जा कंपनियों के साथ विस्तृत बातचीत (Detailed Dialogues) ने आपूर्ति श्रृंखलाओं, मूल्य निर्धारण, और स्थायी दीर्घकालिक अनुबंधों पर ध्यान केंद्रित किया।

इंडो-यूएस ऊर्जा संबंधों में एक मील का पत्थर:

यह यात्रा भारत के बदलते ऊर्जा कूटनीति (Evolving Energy Diplomacy) का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जहाँ IOC, BPCL, और HPCL जैसी PSUs (Public Sector Undertakings) अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। अमेरिकी भागीदारों के साथ मजबूत आपूर्ति समझौते न केवल विविधीकरण लाते हैं, बल्कि भू-राजनीतिक आपूर्ति जोखिमों (Geopolitical Supply Risks) के खिलाफ लचीलापन (Resilience) भी प्रदान करते हैं। यह द्विपक्षीय ऊर्जा वाणिज्य (Bilateral Energy Commerce) में एक नए चरण का प्रतीक है।

भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका:

यह कदम भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र (Indian Public Sector) की वैश्विक ऊर्जा समझौतों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। ये PSUs भारत के ऊर्जा सुरक्षा और टिकाऊ विकास (Sustainable Development) लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हरित ईंधन (Green Fuels), हाइड्रोजन अवसंरचना (Hydrogen Infrastructure), और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों (Clean Energy Technologies) में सक्रिय रूप से निवेश कर रहे हैं।

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