GMDC (गुजरात मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) के शेयरों में हाल ही में तूफानी तेजी देखने को मिली है। शुक्रवार, 15 जुलाई 2025 को, कंपनी के शेयरों ने 12 साल का नया उच्च स्तर (12-Year High) पार करते हुए इंट्रा-डे ट्रेड में 14.3% की छलांग लगाई और ₹433 के स्तर पर पहुंच गए। यह उछाल उन रिपोर्टों के बाद आया है जिनमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) आज एक महत्वपूर्ण बैठक करने वाला है, जिसमें बढ़ते रेयर-अर्थ मिनरल संकट (Rare-Earth Magnet Crisis) का समाधान ढूंढा जाएगा।
रेयर-अर्थ मिनरल संकट और भारत की रणनीति:
पिछले कुछ महीनों से, भारत चीन पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहा है। चीन ने ऑटोमोबाइल, रक्षा, सेमीकंडक्टर, और अन्य औद्योगिक उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले इन महत्वपूर्ण खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध (Export Restrictions) लगा दिए हैं। इन प्रतिबंधों के कारण वैश्विक स्तर पर ऑटो निर्माताओं, रक्षा ठेकेदारों और विंड-टर्बाइन निर्माताओं (Wind-turbine Manufacturers) पर पहले से ही असर पड़ा है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स और स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं (Electronics and Clean-Energy Supply Chains) में नाजुक संतुलन को उजागर करता है।
इसी के चलते, भारत सरकार स्थानीय स्तर पर रेयर-अर्थ मिनरल्स (Rare-earth Minerals) के उत्पादन को बढ़ाने के विकल्प तलाश रही है। नई दिल्ली (New Delhi) कथित तौर पर विभिन्न घरेलू कंपनियों के साथ दीर्घकालिक भंडारण (Long-term Stockpiles) के लिए बातचीत कर रही है और घरेलू विनिर्माण (Domestic Manufacturing) को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना की भी पेशकश कर सकती है।
चीन के निर्यात प्रतिबंध और GMDC की भूमिका:
अप्रैल में, चीन ने सात प्रमुख रेयर अर्थ तत्वों (Seven Key Rare Earth Elements) – समेरियम, गैडोलिनियम, टेर्बियम, डिस्प्रोसियम, ल्यूटेसियम, स्कैंडियम, और येट्रियम – के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिए थे। ये तत्व नियोडिमियम आयरन बोरोन (NdFeB) और समेरियम-कोबाल्ट (SmCo) जैसे स्थायी मैग्नेट (Permanent Magnets) के उत्पादन के लिए आवश्यक हैं, जिनका उपयोग EVs और विंड टर्बाइन सहित कई अनुप्रयोगों में होता है।
GMDC का ‘रेयर-अर्थ हब’ बनाने की योजना:
INVasset PMS के बिजनेस हेड हर्षल दास (Harshal Das, Business Head at INVasset PMS) के अनुसार, GMDC इस मामले में एक महत्वपूर्ण भूमिका (Pivotal Role) निभाने जा रही है। कंपनी अंबाडोंगर (Ambadungar) में ओपन-पिट खनन (Open-pit Mining), लाभप्रदता (Beneficiation), और भरूच (Bharuch) में डाउनस्ट्रीम पृथक्करण और ऑक्साइड प्लांट (Downstream Separation and Oxide Plant) सहित एक ऊर्ध्वाधर एकीकृत रेयर-अर्थ हब (Vertically Integrated Rare-Earth Hub) विकसित कर रही है।
हल्के रेयर-अर्थ तत्वों पर फोकस:
शुरुआत में, कंपनी का ध्यान हल्के रेयर-अर्थ तत्वों (Light Rare-Earth Elements) पर रहेगा – नियोडिमियम, प्रेजोडिमियम, लैंथेनम, और सेरियम – जो NdFeB स्थायी मैग्नेट (NdFeB Permanent Magnets) का आधार बनाते हैं और EVs तथा विंड टर्बाइन के लिए आवश्यक हैं।
उत्पादन क्षमता और आयात निर्भरता कम करने का लक्ष्य:
GMDC की योजना वित्तीय वर्ष 2028 (FY28) तक रेयर-अर्थ ऑक्साइड (Rare-earth Oxides) का उत्पादन बढ़ाकर लगभग 12,000 टन प्रति वर्ष तक पहुंचाने की है। हर्षल दास ने कहा, “यदि यह क्षमता हासिल हो जाती है, तो यह भारत की आयात पर निर्भरता को काफी कम कर देगी और सरकार की घरेलू मैग्नेट उत्पादन के लिए आगामी प्रोत्साहन योजना के अनुरूप होगी, जो अंततः एक अधिक लचीला और संप्रभु महत्वपूर्ण-खनिज पारिस्थितिकी तंत्र (Resilient and Sovereign Critical-mineral Ecosystem) को बढ़ावा देगा।”**
चीन का प्रभुत्व और भारत की तत्काल आवश्यकता:
उन्होंने चीन के इस क्षेत्र में प्रभुत्व (Dominance) को देखते हुए ऐसे पहलों की तत्काल आवश्यकता (Urgency of such Initiatives) पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “आज, चीन दुनिया के लगभग 70% रेयर-अर्थ खनन और लगभग 90% प्रसंस्करण क्षमता (Processing Capacity) को नियंत्रित करता है।”
GMDC की पृष्ठभूमि:
गुजरात मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (GMDC) भारत की दूसरी सबसे बड़ी लिग्नाइट उत्पादक कंपनी (Second Largest Lignite-producing Company) और शीर्ष व्यापारी विक्रेता (Top Merchant Seller of Lignite) है। यह गुजरात सरकार का एक राज्य सार्वजनिक उपक्रम (State Public Undertaking) है। कंपनी राज्य भर में जमा-समृद्ध क्षेत्रों (Deposit-rich Areas) से लिग्नाइट का खनन करती है और इसे कपड़ा, रसायन, सिरेमिक, ईंट और कैप्टिव पावर सहित विभिन्न उच्च-विकास उद्योगों में विपणन करती है।
शेयर प्रदर्शन:
GMDC के शेयर फरवरी से ही लगातार ऊपर की ओर चल रहे हैं, जिसमें 78% का लाभ हुआ है, और वे फरवरी 2024 में दर्ज ₹505 के अपने सर्वकालिक उच्च स्तर (All-time High) के करीब पहुंच रहे हैं। दीर्घकालिक प्रदर्शन (Long-term Performance) को देखते हुए, शेयर ने पिछले तीन वर्षों में 210% और पिछले पांच वर्षों में 900% का लाभ दर्ज किया है।
यह जानकारी उन निवेशकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो भारतीय खनिज और ऊर्जा क्षेत्र (Indian Mineral and Energy Sector) में निवेश के अवसरों की तलाश में हैं।