चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) अनिल चौहान (Anil Chauhan) ने एक कार्यशाला (Workshop) को संबोधित करते हुए हालिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) के दौरान पाकिस्तान (Pakistan) द्वारा सीमा पार भेजे गए कई ड्रोन (Drones) के बारे में एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। उन्होंने बताया कि भारत की सेना द्वारा मार गिराए गए या रोके गए कई ड्रोन अपेक्षाकृत अच्छी स्थिति में मिले हैं, जिसका तात्पर्य है कि वे संभवतः काम करने में सक्षम नहीं थे। CDS चौहान ने इस अवसर पर स्वदेशी हथियारों (Indigenous Weapons) के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि आज के युद्धों में जीतने के लिए “कल की प्रणालियों” (Yesterday’s Systems) पर निर्भर नहीं रहा जा सकता।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पाकिस्तानी ड्रोन की हकीकत:
CDS अनिल चौहान के अनुसार, भारत के साथ मई में चार दिवसीय संघर्ष (Four-day Conflict) के दौरान पाकिस्तान ने अशस्त्र ड्रोन (Unarmed Drones) और लॉइटरिंग मूनिशन्स (Loitering Munitions) का इस्तेमाल किया था। यह हमला अप्रैल में पहलग़ाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) के जवाब में लॉन्च किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के प्रत्युत्तर में किया गया था। CDS ने इस बात पर ज़ोर दिया कि पाकिस्तान के किसी भी ड्रोन या मूनिशन से भारतीय सैन्य या नागरिक बुनियादी ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया जा सका।
उन्होंने बताया, “अधिकांश को काइनेटिक और नॉन-काइनेटिक दोनों माध्यमों के संयोजन से निष्क्रिय किया गया, और कुछ तो लगभग अच्छी स्थिति में बरामद भी हुए।” यह बयान भारत की काउंटर-यूएएस (Counter-UAS) प्रणालियों की प्रभावशीलता को उजागर करता है।
स्वदेशी हथियारों का महत्व और ‘कल की टेक्नोलॉजी’:
CDS चौहान ने स्वदेशी रूप से विकसित हथियारों (Indigenously Developed Weapons) की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका (Significant Role) निभाई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमारे भूभाग और हमारी आवश्यकताओं के लिए निर्मित स्वदेशी काउंटर-यूएएस सिस्टम क्यों महत्वपूर्ण हैं, यह ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया है। उनका मानना है कि सुरक्षित रहने के लिए आविष्कार और निर्माण करना आवश्यक है।
CDS चौहान ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि हालिया वैश्विक संघर्षों (Global Conflicts) ने दिखाया है कि ड्रोन कैसे “सामरिक संतुलन को अनुपातहीन रूप से बदल सकते हैं” (Shift Tactical Balance Disproportionately)। इस संदर्भ में, आत्मनिर्भरता (Self-Reliance) भारत की रणनीतिक अनिवार्यता (Strategic Imperative) है।
उन्होंने आगे कहा कि आधुनिक युद्ध के समय में, कोई भी “कल की हथियार प्रणालियों” के साथ आज जीत हासिल नहीं कर सकता। CDS चौहान ने कहा, “आज की जंग कल की तकनीक के साथ लड़ी जानी चाहिए।”
आयातित प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता के नुकसान:
CDS ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि आक्रामक और रक्षात्मक अभियानों के लिए महत्वपूर्ण आयातित प्रौद्योगिकियों पर निर्भर रहना भारत की तैयारी को कमजोर करता है, उत्पादन को बढ़ाने की हमारी क्षमता को सीमित करता है, और महत्वपूर्ण स्पेयर्स की कमी (Shortfall of Critical Spares) के कारण निरंतर 24×7 उपलब्धता में बाधा डालता है।
उन्होंने यह भी बताया कि घर में डिजाइन, निर्माण और नवाचार (Designing, Making and Innovating at Home) करने से यह सुनिश्चित होता है कि हथियारों की क्षमताएं दुश्मनों के लिए गुप्त (Secret) रहें और उन्हें आश्चर्यचकित कर सकें। “जब हम घर में डिजाइन करते हैं, बनाते हैं और नवाचार करते हैं, तो हम अपने रहस्यों को सुरक्षित करते हैं, लागत कम करते हैं, अपने उत्पादन के पैमाने को बनाए रखते हैं और 24×7 तत्परता बनाए रखते हैं,” उन्होंने संबोधन में कहा।
ड्रोन युद्ध और वायु वाहिनी सिद्धांत का पुनर्विचार:
CDS चौहान ने आगे कहा, “असममित ड्रोन युद्ध (Asymmetric Drone Warfare) बड़े प्लेटफार्मों को कमजोर बना रहा है और सेनाओं को वायु वाहिनी सिद्धांतों (Air Doctrines) के वैचारिक पहलुओं (Conceptual Aspects), C-UAS के विकास और जुड़ाव की अनुकूली चालों (Adaptive Moves of Engagement) पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित कर रहा है।”
स्वदेशी सिस्टम के उदाहरण:
भारत द्वारा उपयोग किए जाने वाले कुछ उल्लेखनीय स्वदेशी प्रणालियों में आकाश टीयर (Akashteer) शामिल है – एक मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (Medium-range Surface-to-air Missile), जिसे भारत के एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) के तहत विकसित किया गया है, जिसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसका नवीनतम आकाश NG संस्करण (Akash NG variant) कई ड्रोन झुंडों (Drone Swarms) और मिसाइल खतरों को रोकने में सफल रहा। मैक 2.5 तक की गति (Speeds of up to Mach 2.5) और 30 मीटर से 20 किमी तक की ऊंचाई जुड़ाव क्षमताओं (Altitude Engagement Capabilities) के साथ, इसने भारतीय क्षेत्र की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ।
यह CDS का बयान भारत की सैन्य आधुनिकीकरण (Military Modernization) और आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) की ओर बढ़ती महत्वाकांक्षाओं को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।