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AI Babydoll Archi जिसे सेक्स एजुकेशन और पोर्न की लत ने बनाया…

Published On: July 16, 2025
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Babydoll Archi जिसे सेक्स एजुकेशन और पोर्न की लत ने बनाया...
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AI आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक, जो कभी सेल्फी को संपादित (Edit) करने या इंस्टाग्राम रील के लिए मनोरंजक वीडियो बनाने का एक साधारण सा उपकरण थी, अब हर उद्योग में प्रवेश कर चुकी है और गहरा प्रभाव छोड़ रही है – कभी बेहतर के लिए, तो अक्सर बदतर के लिए। जो कभी एक नई चीज़ (Novelty) थी, वह अब सामान्य हो गई है। लेकिन हर कदम के साथ, असली और कृत्रिम (Real and Artificial) के बीच की रेखा धुंधली होती जा रही है। हाल ही में इंस्टाग्राम (Instagram) पर सनसनी बनीं ‘बेबी डॉल आर्ची’ (Babydoll Archi), जिनके 1.4 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स हैं, का उदय एक भयावह उदाहरण है कि कैसे इस शक्तिशाली तकनीक का दुरुपयोग होने पर यह किसी भी इंटरनेट ट्रेंड से कहीं अधिक हानिकारक रूप ले सकता है।

कौन थी ‘बेबी डॉल आर्ची’? असली लड़की का अपमानित जीवन:

सब कुछ एक আপাতन हानिरहित वीडियो (Seemingly Harmless Video) से शुरू हुआ – एक साड़ी पहने हुए महिला, रोमानियाई गायिका केट लिन के स्पेनिश ट्रैक ‘डैम अन ग्रर’ (Dame Un Grrr) पर लिप-सिंक कर रही थी। यह रील लगभग रातों-रात वायरल (Viral) हो गई। जल्द ही, इंस्टाग्राम हैंडल “बेबी डॉल आर्ची” हर जगह छा गया, फीड्स में बाढ़ आ गई, फॉलोअर्स बढ़ने लगे, और यहाँ तक कि उसे प्रतिष्ठित ब्लू टिक (Coveted Blue Tick) भी मिल गया।

कुछ ही हफ्तों में, बेबी डॉल आर्ची, जिसे अर्चना फुकान (Archita Phukan) के नाम से भी जाना जाता है, ने 1.4 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स जुटा लिए थे, एक अन्य प्रभावशाली व्यक्ति के साथ सहयोग (Collaborate) किया जिसके 8 मिलियन फॉलोअर्स थे, और वह अंतहीन आकर्षण का विषय बन गई थी।

लेकिन एक समस्या थी: वह असली नहीं थी।

चमकदार फिल्टर (Glossy Filters), मोहक रील्स और परफेक्ट दिखने वाले पोस्ट्स के पीछे, बेबी डॉल आर्ची एक कपटपूर्ण रचना (Fabrication) थी – कोई डिजिटल कलाकार जो एक चरित्र निभा रहा हो, कोई कलाकार जो कला के लिए AI का उपयोग कर रहा हो, बल्कि एक AI-जनित व्यक्तित्व (AI-Generated Persona) जिसे खरोंच से बनाया गया था, एक वास्तविक महिला की मॉर्फ्ड तस्वीरों (Morphed Photos) और वीडियो (Videos) का उपयोग करके तैयार किया गया था।

और वह वास्तविक महिला कौन थी? सूत्रों ने बताया कि वह असम के डिब्रूगढ़ (Dibrugarh, Assam) की एक विवाहित निवासी थी, जिसे अचानक और दर्दनाक तरीके से सार्वजनिक जांच (Public Scrutiny), डिजिटल उल्लंघन (Digital Violation) और उत्पीड़न (Harassment) की दुनिया में धकेल दिया गया।

उत्पीड़न से मुनाफ़ाखोर (Harassment To Profit-Making):

डिब्रूगढ़ की एसएसपी प्रभारी सिज़ल अग्रवाल (Sizal Agarwal, IPS, SSP In-charge of Dibrugarh) ने कहा, “जो उत्पीड़न से शुरू हुआ, वह जल्द ही मुनाफ़ा कमाने का व्यवसाय बन गया।” उनका यह बयान उस समय आया जब एक महत्वपूर्ण साइबर बदनामी मामले (Cyber Defamation Case) का खुलासा हुआ, जो दर्शाता है कि डीपफेक (Deepfakes) और जेनरेटिव AI (Generative AI) को व्यक्तिगत लाभ के लिए कैसे हथियार बनाया जा रहा है (Weaponised)

इस सबके केंद्र में तस्सुकिया, असम के एक मैकेनिकल इंजीनियर प्रतिमा बोरह (Pratim Bora, a mechanical engineer from Tinsukia, Assam) हैं। बोरहा ने हरियाणा में पढ़ाई की थी और दिल्ली की एक कंपनी में काम कर रहे थे, लेकिन वे असम से दूरस्थ रूप से काम कर रहे थे। उन्हें 12 जुलाई को दायर एक साइबर बदनामी मामले के बाद डिब्रूगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जिसमें व्यक्तिगत लाभ के लिए डिजिटल सामग्री में हेरफेर शामिल था। अग्रवाल के अनुसार, बोरहा ने बेबी डॉल आर्ची व्यक्तित्व को बढ़ाने के लिए केवल एक महिला की फोटो का उपयोग करके व्यवस्थित रूप से मॉर्फ्ड तस्वीरें और AI-जनित सामग्री बनाई थी।

खाता अगस्त 2020 में बनाया गया था और तब से इसने दो बार नाम बदले हैं – नवीनतम नाम ‘बेबी डॉल आर्ची’ से ‘अमीरा इस्तारा’ (Amira Ishtara) है।

उनका मकसद? व्यक्तिगत प्रतिशोध (Personal Revenge), ध्यान आकर्षित करने वाला व्यवहार (Attention-seeking Behaviour), और वित्तीय लालच (Financial Greed) का एक विषाक्त मिश्रण (Toxic Cocktail) था।

न्यायालय ने डिब्रूगढ़ पुलिस को बोरहा से पूछताछ और प्रमुख डिजिटल साक्ष्य निकालने के लिए पांच दिन की रिमांड दी। शुरुआती रिपोर्टों से पता चलता है कि उसने सिर्फ पांच दिनों में लगभग 3 लाख रुपये कमाए, और कुल 10 लाख रुपये वाया वायरल रीलों के मुद्रीकरण (Monetization of Viral Reels) और लिंकट्री (Linktree) के माध्यम से एक सदस्यता पृष्ठ (Subscription Page) से कमाए, जहाँ ‘वास्तविक प्रशंसक’ (Actual Fans) नामक एक अनुभाग में AI-जनित वयस्क सामग्री (AI-generated adult content) दिखाई गई, जैसा कि अग्रवाल ने बताया।

पुलिस की पड़ताल:

पुलिस ने इंस्टाग्राम अकाउंट के नंबर को ट्रैक किया और उसे प्रतिमा के नाम से जोड़ा। जब उन्होंने परिवार से पूछा कि क्या वे उसे जानते हैं, तो उन्होंने बताया कि वह पीड़ित का पुराना परिचित (Past Acquaintance) था। उसने उसे परेशान करने के लिए यह सब शुरू किया था, लेकिन जैसे ही उसने पैसा कमाना शुरू किया, वह लालची हो गया और खाता जारी रखा।

पुलिस अब एक व्यापक जांच कर रही है – जिसमें नकली जीमेल आईडी (Fake Gmail IDs), AI टूल्स, कई सोशल मीडिया खाते, और संभावित सहयोगी जो सामग्री को फैलाने में मदद कर सकते थे, शामिल हैं। उन्होंने कई सिम कार्ड, एक लैपटॉप, टैबलेट, डेबिट और क्रेडिट कार्ड भी जब्त किए हैं।

AI सॉफ्टवेयर का दुरुपयोग:

डिब्रूगढ़ पुलिस के अनुसार, प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि बोरहा ने पीड़ित की एक तस्वीर का उपयोग करके OpenAI, Midjourney, और अन्य AI सॉफ्टवेयर का उपयोग करके पॉर्न जैसी सामग्री बनाई

अमेरिकी एडल्ट स्टार केंड्रा लस्ट की भूमिका:

अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि बोरहा द्वारा प्रबंधित आर्किता फुखान नाम का यह खाता अमेरिकी एडल्ट फिल्म स्टार केंड्रा लस्ट (US adult film star Kendra Lust) से टिप्पणियाँ प्राप्त करने में कैसे सफल रहा, जहाँ लस्ट और फुखान दोनों की तस्वीरें दिखाई दे रही थीं। केंड्रा की टिप्पणी और उसकी छवि (जो मॉर्फ की जा सकती है) इंटरनेट के बेबी डॉल आर्ची को अमेरिका में एडल्ट इंडस्ट्री में शामिल असम की एक वास्तविक लड़की मानने के प्रमुख कारण थे, न कि AI की गड़बड़ी।

असली समस्या और भारत का पोर्न संकट:

सच्चाई बहुत गंभीर है। एक महिला, जो अपना सामान्य जीवन जी रही थी, उसने पाया कि उसकी पहचान, गरिमा और मन की शांति एक इंटरनेट फंतासी (Internet Fantasy) द्वारा छीन ली गई है। और इंटरनेट – जो प्रतिक्रिया करने में प्रसिद्ध रूप से तेज है और सत्यापित करने में धीमा है – उसने इन सब को ऐसे ही अपना लिया। यह तब हुआ जब शुरूआती संदेह के बावजूद कि फुखान का खाता फर्जी हो सकता है।

अब जब हमने AI के खतरों पर चर्चा की है, तो हमें एक और समस्या को संबोधित करने की आवश्यकता है जो फुखान का मामला उठाता है: भारत की पोर्न समस्या (India’s Porn Problem)

यद्यपि डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर्स (DSM-5) पोर्न की लत को मानसिक विकार के रूप में वर्गीकृत नहीं करता है, लेकिन कई विशेषज्ञों ने इंटरनेट की लत (Internet Addiction) को शामिल करने का आह्वान किया है, जिसमें ऑनलाइन पोर्नोग्राफी की लत (Online Pornography Addiction) पर विशेष ध्यान दिया गया है, क्योंकि यह व्यापक रूप से फैली हुई है।

यौन सामग्री तक आसान पहुंच और बढ़ती लत:

सोशल मीडिया तक आसान पहुँच के साथ, लीक हुए एमएमएस क्लिप्स (Leaked MMS Clips), मॉर्फ की गई तस्वीरें, और भी बहुत कुछ, मनोरंजन के भेष में अश्लील सामग्री ऑनलाइन तेजी से बढ़ रही है। जैसे-जैसे तकनीक हर दिन आगे बढ़ रही है, रिवेंज पोर्न (Revenge Porn) के मामले बढ़ रहे हैं – और पोर्न की लत भी बढ़ रही है। यह सामग्री प्लेटफॉर्म पर जंगली आग की तरह फैलती है। फुकान के इंस्टाग्राम अकाउंट के एक त्वरित विश्लेषण से पता चलता है कि उसके कमेंट सेक्शन बॉट्स और उपयोगकर्ताओं से भरे हुए थे जो या तो लिंक साझा कर रहे थे या इसी तरह के अश्लील वीडियो मांग रहे थे।

टैबू, साज़िश और पोर्न की समस्या:

नोएडा स्थित परामर्श मनोवैज्ञानिक श्वेता कौल (Shreya Kaul, a Noida-based counselling psychologist) NDTV को बताती हैं कि भारत में यौन संबंध की कहानियाँ अविश्वसनीय रूप से भ्रमित करने वाली हैं। “यह एक टैबू (Taboo) है, इसे बुरा माना जाता है, इसे अश्लील कहा जाता है। विचारधाराओं का टकराव होता है, जैसे कि किसी की यौन गतिविधि और सेक्स लाइफ सीधे उनकी नैतिकता, संस्कृति और समाज में उनकी स्थिति से जुड़ी हुई हो। इसे लगभग सही और गलत के प्रश्न के रूप में माना जाता है,” श्वेता कहती हैं।

लेकिन हम जिस चीज़ के बारे में जितना कम बात करते हैं, वह उतनी ही अधिक साज़िश और जिज्ञासा पैदा करती है। यह गीली पेंट की तरह है; जिस क्षण आप कहते हैं “मत छुओ”, लोग उसे छूना चाहते हैं। जिज्ञासा तब चरम पर होती है जब कुछ वर्जित होता है।

भारत में पोर्नोग्राफी के कानून और उपयोग:

“चाहे लोग यौन सामग्री (Sexual Content) देखने का आनंद लेते हों या इसे रोमांच की तलाश (Thrill-seeking Purposes) के लिए करते हों, भारत में पोर्नोग्राफी से संबंधित कानून असंगत और लगातार बदलते रहते हैं। चाहे वे इसे मौन स्वीकृति दें या विद्रोह, तुष्टिकरण, या जिज्ञासा के रूप में उपभोग करें, अधिकांश लोग इसे फिर भी देखेंगे – यहां तक ​​कि वे भी जो सार्वजनिक रूप से इसकी निंदा करते हैं,” श्वेता आगे बताती हैं।

भारत में पोर्न की लत (Porn Addiction) बढ़ रही है। जैसा कि हम जानते हैं, यौन संबंध (Sex) पर खुलकर चर्चा नहीं की जाती है, हमारे पास यौन शिक्षा (Sex Education) का अभाव है जो समावेशी, सूचनात्मक और विकसित हो। ध्यान हमेशा संयम (Abstinence) पर होता है। किशोर और युवा वयस्क यौन संबंध के बारे में कुछ भी नहीं जानते हुए बड़े होते हैं। दुख की बात यह है कि पोर्नोग्राफी (Pornography) शिक्षा का एक प्राथमिक स्रोत बन जाती है, लेकिन यह वास्तविकता का एक विकृत संस्करण प्रस्तुत करती है। पोर्नोग्राफी का उत्पादन, निर्देशन, कोरियोग्राफी और संपादन किया जाता है। यह वास्तविक जीवन की अंतरंगता का एक सच्चा प्रतिबिंब नहीं है।

ऑनलाइन माध्यमों से पोर्न तक आसान पहुँच:

आज पोर्न तक पहुँच पहले से कहीं अधिक आसान हो गई है, और इसने सब कुछ बदल दिया है। कुछ साल पहले जारी किए गए आँकड़ों से पता चला है कि भारत में पोर्न उपभोक्ताओं में 89% लोग इसे अपने फोन पर देखते हैं। यह अकेले ही बताता है कि डिजिटल उपभोग कैसे विकसित हुआ है, और स्मार्टफोन ने हर चीज को कैसे अधिक सुलभ बना दिया है। चाहे वह एक कैज़ुअल तस्वीर हो या एक स्पष्ट वीडियो, कुछ भी सेकंडों में वायरल हो सकता है।

लिंग और समाज का दृष्टिकोण:

यौन संबंध पहले से ही एक टैबू और भ्रमित करने वाला विषय है, लेकिन जब यह लिंग (Gender) से जुड़ा होता है, विशेषकर महिलाओं से, तो यह और भी जटिल हो जाता है।

एक महिला के चरित्र का अक्सर इस आधार पर आंकलन किया जाता है कि क्या उसे “वेश्या”, “स्लट”, या “वेश्या” जैसे अपमानजनक शब्दों से लेबल किया गया है, चाहे संदर्भ कुछ भी हो। ये गहराई से हानिकारक शब्द बिना किसी हिचकिचाहट के इस्तेमाल किए जाते हैं।

ऑनलाइन फ्रॉड और AI का प्रभाव:

“इस मामले में, असमिया होने का अतिरिक्त आकर्षण था, और फर्जी इंस्टाग्राम अकाउंट ने उसे अमेरिका के फिल्म उद्योग से किसी व्यक्ति से जोड़ा। संपादित तस्वीरों को पुरुष दर्शकों को आकर्षित करने, मंत्रमुग्ध करने और उत्तेजित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। तभी यह कर्षण (Traction) हासिल करना शुरू हुआ। फिर AI-जनित वीडियो आया, जो वायरल हो गया, जो पहले से ही उसके इर्द-गिर्द मौजूद प्रचार (Buzz) द्वारा प्रवर्धित किया गया था,”** श्वेता ने समझाया।

फुखान का मामला एक कड़वी सच्चाई की याद दिलाता है, जैसा कि IPS अग्रवाल ने सही कहा, “इस मामले ने एक बहुत महत्वपूर्ण तथ्य सामने लाया है। हमें ऑनलाइन सामग्री देखते समय अपने दिमाग का उपयोग करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि जानकारी सच है और सत्यापित है या नहीं।”

इसलिए, अगली बार जब आपको कोई वायरल वीडियो मिले जो सच होने के लिए बहुत अच्छा लगे – रुको, सत्यापित करो, और याद रखो: पिक्सेल के पीछे, एक अपराध हो सकता है।

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