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SSC Recruitment: कलकत्ता हाई कोर्ट का सख्त फैसला, ‘दागी’ अभ्यर्थियों को मिलेगी नौकरी

Published On: July 12, 2025
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SSC Recruitment: कलकत्ता हाई कोर्ट का सख्त फैसला, 'दागी' अभ्यर्थियों को मिलेगी नौकरी
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SSC Recruitment: कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) ने एक ऐतिहासिक फैसले (Historic Judgment) में उन उम्मीदवारों को सरकारी नौकरी (Government Jobs) के लिए फिर से आवेदन (Apply Again) करने की अनुमति देने की राज्य सरकार (State Government) की दलील (Argument) को खारिज कर दिया, जिन्हें SSC भर्ती (SSC Recruitment) प्रक्रिया में “दागी” (Tainted) पाया गया था। अदालत ने कहा कि सरकार का यह रवैया “गलत संकेत (Wrong Signal)” देता है और यह “अच्छे से समझा नहीं गया” (Not Well Appreciated)। बेंच (Bench) ने कहा कि सरकार का काम अपराधियों का पक्ष लेना नहीं है, और यह गलत संकेत भेजता है।” यह फैसला उन लोगों के लिए एक बड़ा झटका है जिन्होंने अनुचित साधनों (Unfair Means) का उपयोग करके नौकरियां (Jobs) हासिल करने की कोशिश की।

न्यायमूर्ति सौमेन सेन (Justice Soumen Sen) और न्यायमूर्ति स्मिता दास डे (Justice Smita Das De) की एक खंडपीठ (Division Bench) ने गुरुवार को उन याचिकाओं (Pleas) को खारिज कर दिया जिसमें दागी उम्मीदवारों को 35,000 से अधिक रिक्तियों (More than 35,000 Vacancies) के लिए नई भर्ती प्रक्रिया (New Recruitment Process) में आवेदन करने की अनुमति देने की मांग की गई थी। यह निर्णय न्याय और निष्पक्षता (Justice and Fairness) के सिद्धांतों (Principles) पर आधारित है।

क्या कहते हैं वरिष्ठ वकील और राज्य सरकार?

वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बनर्जी (Kalyan Banerjee), जो SSC का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, ने तर्क दिया कि जबकि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दागी उम्मीदवारों की नियुक्तियों को समाप्त (Termination) करने और वेतन वापस करने का निर्देश दिया था, SC के फैसले में भविष्य की भर्ती प्रक्रियाओं (Future Hiring Processes) में भाग लेने से स्पष्ट प्रतिबंध (Clear Bar) का कहीं भी उल्लेख नहीं था। यह कानूनी तर्क (Legal Argument) उन कानूनी छिद्रों (Legal Loopholes) पर प्रकाश डालता है जिनका उपयोग कभी-कभी किया जा सकता है।

राज्य (State) का प्रतिनिधित्व करने वाले महाधिवक्ता (Advocate General) किशोर दत्ता (Kishore Datta) ने प्रस्तुत किया कि दागी उम्मीदवारों को बाहर करना संविधान के अनुच्छेद 16 (Article 16 of the Constitution) का उल्लंघन होगा। यह तर्क समान अवसर (Equal Opportunity) और संवैधानिक अधिकारों (Constitutional Rights) पर आधारित है।

दत्ता (Datta) ने कहा कि रद्द करने का मतलब यह नहीं है कि भविष्य के रोजगार (Future Employment) का दरवाजा बंद (Foreclosed) कर दिया गया है। अदालत का रुख (Court’s Stance) इस बात पर था कि यह प्रक्रिया को और अधिक न्यायसंगत (Equitable) बनाने के लिए है।

हाई कोर्ट (High Court) ने कहा, “यह वास्तव में चौंकाने वाला और भ्रमित करने वाला है कि वादी (Appellants) दागी उम्मीदवारों (Tainted Candidates) का समर्थन कर रहे हैं। माननीय खंडपीठ (Hon’ble Division Bench) और माननीय सुप्रीम कोर्ट (Hon’ble Supreme Court) के आदेशों में उल्लिखित उम्मीदवारों की तीन श्रेणियों में से कोई भी विचार के योग्य नहीं है। यह तर्क कि इन उम्मीदवारों को भारत के संविधान के अनुच्छेद 16 (Article 16 of the Constitution of India) के आधार पर एक समान अवसर (Level Playing Field) मिलना चाहिए, स्पष्ट रूप से स्वीकार्य नहीं है क्योंकि यह न्याय और निष्पक्षता की बुनियादी धारणा (Basic Notion of Justice and Fairness)** के विपरीत होगा। सार्वजनिक रोजगार में धोखेबाजों (Fraudsters in Public Employment) को प्रोत्साहित करना राज्य की मौलिक नीति (Fundamental Policy) नहीं हो सकती। उनका सिस्टम में कोई स्थान नहीं है,**” एचसी (HC) ने कहा।

हाई कोर्ट ने आगे कहा कि एक शिक्षक (Teacher) न केवल छात्र के लिए एक गुरु (Mentor), सूत्रधार (Facilitator) और रोल मॉडल (Role Model) होता है, बल्कि ज्ञान और कृतज्ञता (Wisdom and Gratitude) की मार्गदर्शक रोशनी (Guiding Light) भी होता है। बेनी माधव दास (Beni Madhab Das), सूर्य सेन (Surya Sen) और इतिहास के अन्य महान शिक्षकों (Great Teachers in History) का उल्लेख करते हुए, एचसी ने टिप्पणी की, “…यह वास्तव में दर्दनाक है कि राज्य के उच्च शिक्षा प्रणाली (Higher Education System of the State) में भर्ती के लिए अब दूषित हाथों (Tainted Hands) वाले उम्मीदवारों के कारणों का बचाव किया जा रहा है। एक शिक्षक को तब धोखेबाज कहा जाता है जब वह अनुचित साधनों (Unfair Means) से नौकरी हासिल करता है, जो किसी भी सभ्य न्यायशास्त्र (Civilised Jurisprudence) की कल्पना से पूरी तरह से असंभव और अस्वीकार्य है। ज्ञान, बुद्धि और उचित शिक्षा (Knowledge, Wisdom, and Proper Education) के बिना एक शिक्षक एक आपदा होगी, जो शिक्षा प्रणाली को बर्बाद कर देगी। राष्ट्र के विकास (Growth of the Nation) के लिए ये आवश्यक हैं।

धोखा सब कुछ दूषित कर देता है। धोखा और मिलीभगत (Collusion) किसी भी सभ्य न्यायशास्त्र में सबसे पवित्र मिसाल को दूषित करते हैं। धोखा और न्याय (Fraud and Justice) एक साथ नहीं रह सकते। अनुचित साधनों और मिलीभगत से सार्वजनिक रोजगार (Public Employment) का कोई भी लाभ प्राप्त करने का दोषी एक वादी (Litigant) लेख याचिका क्षेत्राधिकार (Writ Jurisdiction) के तहत कोई उपाय नहीं मांग सकता है, जो विवेकाधीन प्रकृति (Discretionary Nature) का है, और विवेक को समानतापूर्वक (Equitably) और सदभावना को बढ़ावा देने (Promoting Good Faith) में प्रयोग किया जाना चाहिए,” एचसी (HC) ने जोड़ा। यह निर्णय नौकरशाही जवाबदेही (Bureaucratic Accountability) और शिक्षा प्रणाली की पवित्रता (Sanctity of Education System) पर बहुत कुछ कहता है।


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