Miyazaki Mango: दुनिया का सबसे महंगा आम (World’s Most Expensive Mango) और अत्यंत दुर्लभ (Rare Mango) किस्म ‘मियाज़ाकी’ (Miyazaki Mango), हरियाणा (Haryana) के कुरुक्षेत्र (Kurukshetra) में आयोजित फल महोत्सव (Fruit Festival) में आकर्षण का केंद्र (Center of Attraction) बना हुआ है। अपने गहरे लाल रंग, बेहद मीठे स्वाद और आसमान छूती कीमत के कारण, हर कोई इसे देखने और स्वाद लेने के लिए उत्सुक है, लेकिन ज्यादातर लोग इसकी कीमत सुनकर हैरान रह जाते हैं। यह आम न केवल एक फल है, बल्कि एक अनुभव भी है, जो भारतीय बाजार (Indian Market) में उच्च गुणवत्ता वाले फल (High-Quality Fruits) की बढ़ती मांग को दर्शाता है। जापानी आम (Japanese Mango) की यह किस्म अब भारत में भी धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है।
यह फल अपने औषधीय गुणों (Medicinal Properties) और उत्कृष्ट स्वाद (Excellent Taste) के लिए प्रसिद्ध है, जिससे यह फलों की दुनिया में एक प्रतिष्ठित स्थान रखता है। इसकी उच्च मांग और सीमित उपलब्धता ही इसकी कीमत का मुख्य कारण है।
मियाज़ाकी आम की क्या है विशेषता? ‘सूर्य के अंडे’ का रहस्य!
आम की यह विशेष किस्म मूल रूप से जापान के मियाज़ाकी क्षेत्र (Miyazaki Region of Japan) में उगाई जाती है और इसे वहां ‘सूर्य के अंडे’ (Taiyo No Tamago – Eggs of Sun) के रूप में भी जाना जाता है। भारत में मियाज़ाकी आम (Miyazaki Mango in India) की कीमत 50,000 रुपये से 70,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक है, जबकि जापान (Japan) और दुबई (Dubai) जैसे देशों में, यह आम 2.5 लाख रुपये से 3 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक बिकता है, जिससे यह वैश्विक फल बाजार (Global Fruit Market) में एक अत्यधिक प्रीमियम उत्पाद बन जाता है।
यह आम न केवल अविश्वसनीय रूप से स्वादिष्ट (Incredibly Delicious) होता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी (Beneficial for Health) होता है। एक शोध (Research) के अनुसार, यह सामान्य कैंसर कोशिकाओं (Cancer Cells) के विकास को रोकने में मदद करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को भी मजबूत करता है। यही कारण है कि इसे अब “फल नहीं, दवा” (Not a Fruit, but Medicine) के रूप में देखा जा रहा है। मियाज़ाकी आम के ये औषधीय गुण (Medicinal Properties) इसे सामान्य फलों से अलग करते हैं और इसकी उच्च कीमत को भी justify करते हैं। दुर्लभ फल (Rare Fruits) हमेशा से भारत के बागवानी क्षेत्र (Indian Horticulture Sector) के लिए एक नया अवसर प्रस्तुत करते हैं।
हरियाणा में उगाया जा रहा है मियाज़ाकी आम
इस दुर्लभ आम की लोकप्रियता और बढ़ती मांग को देखते हुए, लाडवा में भारत-इज़राइल उप-उष्णकटिबंधीय केंद्र (Indo-Israel Sub-Tropical Centre in Ladwa) में मियाज़ाकी आम का एक पौधा भी लगाया गया है। इसे भविष्य का फल (Fruit of the Future) मानते हुए, केंद्र ने इस पर गहन शोध (Intensive Research) शुरू कर दिया है। अच्छी बात यह है कि इस साल पहली बार इस पौधे में फल भी निकले हैं, जो भारत में इसकी व्यावसायिक खेती (Commercial Cultivation) की संभावनाओं को उज्ज्वल करते हैं। यह हरियाणा में कृषि नवाचार (Agricultural Innovation in Haryana) का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। यह भारत में महंगी खेती (Expensive Farming in India) को बढ़ावा दे रहा है।
फलों के त्योहार में अन्य विशेष किस्में
कुरुक्षेत्र के फल महोत्सव (Kurukshetra Fruit Festival) में केवल मियाज़ाकी ही नहीं, बल्कि कई अन्य विशेष किस्में (Special Varieties) भी आकर्षण का केंद्र बनी हैं। इनमें थाई आम (Thai Mango) नामक एक किस्म, जिसे स्थानीय रूप से ‘बॉम्बे ग्रीन’ (Bombay Green) भी कहा जाता है, ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। इसका वजन 1 किलो से अधिक है, जो इसे आकार में सबसे बड़ा आम बनाता है।
इसके अलावा, मैंगो ग्रेप्स (Mango Grapes) नामक सबसे छोटी किस्म (Smallest Variety) को भी यहां प्रदर्शित किया गया है, जिसे स्थानीय किसान (Local Farmers) ‘देसी सीवर’ (Desi Sevar) कहते हैं। इसका आकार केवल 2 से 2.5 इंच है, जो इसे अंगूर के आकार जैसा बनाता है। ये दोनों किस्में दक्षिण भारत (South India) की मूल निवासी हैं, और उनके अद्वितीय गुण इस फल महोत्सव की विविधता को बढ़ाते हैं। फल मेला (Fruit Fair) भारत में बागवानी क्षेत्र (Horticulture Sector) को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण मंच है।