Amarnath Yatra 2025: पहलगाम (Pahalgam) के हरे-भरे पहाड़ों में हेलीकॉप्टर (Helicopter) के पंखों की गड़गड़ाहट शांति भंग करती है. हर कुछ मिनट में, एक बख़्तरबंद वाहन (Armoured Vehicle) गड़गड़ाता हुआ गुजरता है, जिसके अंदर बैठे सुरक्षा कर्मी भीड़ को स्कैन करते रहते हैं. यह साफ महसूस होता है कि इस साल की अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) के साये में हो रही है, जहां दक्षिण कश्मीर (Southern Kashmir) के सुरम्य घास के मैदानों (Picturesque Meadows) में 26 निर्दोष नागरिक मारे गए थे. यह घटना ‘जम्मू-कश्मीर सुरक्षा’ (Jammu-Kashmir Security) पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगा चुकी थी, लेकिन अब ‘कड़ी सुरक्षा व्यवस्था’ (Tight Security Arrangements) के साथ यात्रा को संचालित किया जा रहा है.
यह कभी एक ‘उत्सव’ (Celebration) हुआ करता था जहां श्रद्धालु नवीनतम ‘भक्ति गीतों’ (Devotional Songs) के ‘ईडीएम रीमिक्स’ (EDM Remixes) पर झूमते थे. इस बार, नुनवान बेस कैंप (Nunwan Base Camp) में, जो यात्रियों (Yatris) के लिए पहला ‘शिविर स्थल’ (Campsite) है, ‘खामोशी’ (Silence) छाई हुई है – न साधुओं द्वारा बजाई जाने वाली कोई धुन (Melodies), न “बम बम भोले” (Bum Bum Bhole) के उत्साहपूर्ण नारे. इसके बजाय, जो ‘सुनाई’ (Audible) देता है, वह है ‘मेटल डिटेक्टर’ (Metal Detectors) की लगातार आवाज और एक ‘लाउडस्पीकर’ (Loudspeaker) जो नियमित रूप से तीर्थयात्रियों (Pilgrims) को लिडर नदी (Lidder River) के पास न जाने की चेतावनी देता है, जहां ‘डूबने की संभावना’ (Chances of Drowning) अधिक है. यह ‘अमरनाथ यात्रा अनुभव’ (Amarnath Yatra Experience) इस साल ‘सुरक्षा के सख्त प्रावधानों’ (Strict Security Provisions) से घिरा हुआ है.
यात्री कई ‘सुरक्षा उपायों’ (Security Measures) से गुजरते हैं, जिनमें चेहरे की पहचान (Facial Recognition) को सक्षम करने वाले आरएफआईडी टैग (RFID tags), एक शारीरिक तलाशी (Physical Pat-down), और ‘एक्स-रे मशीनों’ (X-ray Machines) के माध्यम से बैग की जांच (Bag Examination) शामिल है. शिविर 550 टेंटों (550 Tents), 17 दुकानों (17 Shops), 300 शौचालयों (300 Toilets), और 70 स्नानागारों (70 Baths) से सुसज्जित है, जो सभी एक ग्रिड में व्यवस्थित (Arranged in a Grid) हैं, और इसमें 5,500 तीर्थयात्री (5,500 Pilgrims) रह सकते हैं. हालांकि, शुक्रवार दोपहर तक टेंट शायद ही भरे थे. मोहम्मद शमी (Mohammad Shami) के तीन टेंट खाली रहे: “कल, मैं उन्हें भरने में कामयाब रहा. मैं एक बिस्तर, बिजली कनेक्शन (Electricity Connection), और एक कंबल (Blanket) से सुसज्जित एक टेंट के लिए 600 रुपये लेता हूँ.” यह दिखाता है कि यात्रा शुरू में उतनी ‘तेजी से’ (Rapidly) नहीं बढ़ी है जितनी उम्मीद थी.
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अयोध्या (Ayodhya) के निवासी दुर्गेश कुमार (Durgesh Kumar) अकेले खड़े हैं, उनकी दाहिनी आस्तीन उनकी कमीज से लगी हुई है जहां उनकी बांह होनी चाहिए. दस साल पहले, एक ‘आटा चक्की दुर्घटना’ (Flour Mill Accident) ने उनका अंग (Limb) ले लिया, लेकिन उनकी ‘दृढ़ संकल्प’ (Determination) को नहीं. उन्होंने कहा, “मेरा 30 लोगों का समूह चला गया है.” कुमार जम्मू (Jammu) से यहां आए थे जब उन्हें वहां आरएफआईडी टैग नहीं मिल पा रहा था. उन्होंने कहा, “जम्मू में जबरदस्त ‘उत्साह’ (Massive Enthusiasm) है. मुझे टोकन (Token) नहीं मिल रहा था. लेकिन भोले (Bhole) ने आज मुझे एक से आशीर्वाद दिया. मुझे उम्मीद है कि मैं जल्द ही अपने समूह से मिल पाऊंगा. जब मैंने पहलगाम आने का फैसला किया तो मेरी पत्नी और दो बच्चे रो पड़े. लेकिन मैं ‘अडिग’ (Undeterred) हूँ.” यह कहानी ‘श्रद्धा’ (Faith) और ‘अटूट आस्था’ (Unwavering Devotion) की प्रतीक है.
फिर खड़गपुर (Kharagpur) से आए गौतम महतो (Gautam Mahato) हैं. उनकी सफेद टी-शर्ट (White T-shirt), उनके नियोक्ता (Employer) द्वारा थाईलैंड (Thailand) में छपी, जिस पर उनकी और उनके बॉस के बेटे की तस्वीर छपी है, उनके ठेकेदार (Contractor) के रूप में काम करने का उपहार है. महतो ने ‘चमकते हुए’ (Beaming) कहा, “मेरा टिकट (Ticket) पिछली छह बार रद्द (Cancelled Six Times) हो चुका है.” “मैं हर साल कोशिश करता हूं, लेकिन बाबा मुझे नहीं बुलाते. इस साल, मुझे आने का मौका मिला.” उन्होंने कहा, “मेरी पत्नी बहुत रोई. उसने कहा, ‘जब भोले बाबा ने तुम्हें छह बार रोका है तो तुम वहां क्यों जाते हो?’ मैंने उससे कहा, इस बार भगवान ने मुझे बुलाया है, इसलिए मैं जाऊंगा.” यह दिखाता है कि कैसे ‘बाबा बर्फानी के बुलावे’ (Baba Barfani’s Call) के आगे हर मुश्किल छोटी पड़ जाती है.
कुछ तीर्थयात्रियों के लिए, आतंकी हमला (Terror Attack) ‘भाग लेने’ (Participation) के लिए एक ‘उत्प्रेरक’ (Catalyst) बन गया है न कि ‘निवारक’ (Deterrence). अयोध्या में राम मंदिर संस्थान (Ram Mandir Sansthan) समूह से अनिल कुमार (Anil Kumar) 11 ‘पहली बार’ तीर्थयात्रियों (First-time Pilgrims) का नेतृत्व करते हैं. उन्होंने कहा, “हमारे अंदर और ‘इच्छा जागी’ (More Desire Aroused).” समूह के एक अन्य सदस्य अर्जुन जायसवाल (Arjun Jaiswal) ने कहा, “हम आतंकी हमले के कारण अमरनाथ आना चाहते थे.” यह भावना गोरखपुर (Gorakhpur) से आए 43 लोगों के एक समूह (Group of 43 people) द्वारा भी दोहराई गई है, जिनमें से कई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) के समर्थन में मिग 29K (MiG 29K) टी-शर्ट पहने हुए थे. वे कई सालों से यह ‘तीर्थयात्रा’ (Pilgrimage) कर रहे हैं.
गोरखपुर समूह से सर्वजीत गुप्ता (Sarvajit Gupta – 23) ने व्यक्त किया जो कई लोग महसूस करते हैं: “मैंने अपने परिवार से कहा कि अगर ‘भारतीय सेना’ (Indian Army) वहां है, तो डरने की कोई बात नहीं है. जब हमारे परिवार ने हमें न जाने के लिए कहा, तो इसने हमारे दिलों में आग लगा दी. हमने जितने लोगों को हो सके, उतने लोगों को साथ लाने का फैसला किया. हम यहां यह दिखाने आए हैं कि हम ‘डर के आगे नहीं झुकेंगे’ (Won’t Bow to Fear).” यह ‘भारतीय सेना सुरक्षा’ (Indian Army Security) और ‘राष्ट्रभक्ति’ (Patriotism) के गहरे संबंध को दर्शाता है, जो ‘अमरनाथ यात्रा’ को सिर्फ एक तीर्थयात्रा से कहीं बढ़कर बना देता है.
पहलगाम (Pahalgam) में ‘ग्राउंड जीरो’ (Ground Zero) पर, ‘केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल’ (Central Industrial Security Force – CISF), ‘केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल’ (Central Reserve Police Force – CRPF), और ‘भारत-तिब्बत सीमा पुलिस’ (Indo-Tibetan Border Police – ITBP) के कर्मी अब ‘स्थानीय पुलिस’ (Local Police) के साथ मिलकर ‘गहन तलाशी अभियानों’ (Intensive Frisking Operations) में काम करते हैं जो घंटों तक चल सकते हैं. काले एविएटर्स (Dark Aviators) और ‘टैक्टिकल फेस मास्क’ (Tactical Face Mask) पहने एक ‘बीएसएफ कांस्टेबल’ (BSF Constable) एक परिवार के सेल्फी (Selfie) के अनुरोध को ‘विनम्रता से’ (Politely) मना कर देता है. उसने कहा, “माफ़ करना, अथॉरिटी नहीं है.” अमरनाथ यात्रा के लिए यह उनकी तीसरी पोस्टिंग (Third Posting) है, और उन्होंने देखा है कि ‘सुरक्षा तंत्र’ (Security Apparatus) कुछ ‘अभूतपूर्व’ (Unprecedented) में कैसे विकसित हुआ है. कांस्टेबल ने कहा, “किसी भी गलती की कोई गुंजाइश नहीं है,” उनकी आँखें बोलते हुए भी भीड़ को स्कैन कर रही थीं. यह ‘अमरनाथ सुरक्षा’ (Amarnath Security) को उच्चतम स्तर पर रखता है.
पहलगाम मुख्य बाजार (Pahalgam Main Market) में, बेरी की दुकानें (Berry Shops), कश्मीर हथकरघा स्टोर (Kashmir Handloom Stores) और चाय की दुकानों (Tea Shops) पर मुश्किल से ही कोई ग्राहक (Customers) हैं, जिससे क्षेत्र के ‘पर्यटन’ (Tourism) पर प्रभाव साफ दिखता है.
भोपाल (Bhopal) की तीन महिलाएं अपने पतियों (Husbands) के यहां आने का इंतजार कर रही हैं. लता कुशवाहा (Lata Kushwaha) ने अपनी 3 साल की बेटी (3-year-old Daughter) और 8 साल के बेटे (8-year-old Son) को घर पर उनके दादा-दादी (Grandparents) के पास छोड़ दिया था. उनकी रिश्तेदार लक्ष्मी कुशवाहा (Lakshmi Kushwaha) को भी यही चिंता है; उनके 13 साल के बेटे और 10 साल की बेटी सैकड़ों मील दूर (Hundreds of Miles Away) हैं. प्रिया कुशवाहा (Priya Kushwaha), तीसरी महिला, ने कहा, “हम हमेशा कहीं न कहीं जाते हैं.” “इस बार, हमने सोचा कि हम अमरनाथ जाएंगे. हम पिछले साल केदारनाथ (Kedarnath) गए थे, और हमें एक ही दिन में सब कुछ मिल गया था.” वे 18 लोगों के समूह (Group of 18) में निकली थीं, लेकिन सभी को उनके आरएफआईडी टैग (RFID Tags) नहीं मिल पाए हैं. जम्मू (Jammu) में तीन दिन ‘पवित्र गुफा’ (Holy Cave) तक पहुंच प्रदान करने वाले ‘पंजीकरण पास’ (Registration Passes) की तलाश में भागदौड़ में बीत गए. प्रिया ने कहा, “हमें आतंकी हमले की ‘परवाह नहीं’ (Don’t Care About the Terror Attack) है.” “हम बस ‘दर्शन’ (Darshan) करना चाहते हैं, चाहे कुछ भी हो.”
पहलगाम में पर्यटन विभाग (Tourism Department) के सहायक निदेशक (Assistant Director) जाहिद आजाद (Jahid Azad) ने द इंडियन एक्सप्रेस (The Indian Express) को बताया, “हमें दुर्भाग्यपूर्ण ‘आतंकी हमले’ के कारण ‘भीड़’ (Crowd) काफी कम रहने की उम्मीद थी. इस बार, हम ‘आश्चर्यचकित’ (Caught by Surprise) रह गए क्योंकि कई यात्री पहलगाम मार्ग (Pahalgam Route) से दर्शन (Darshan) के लिए आए. लेकिन कुल मिलाकर, पहलगाम में ‘पर्यटन’ (Tourism) को ‘नुकसान’ (Hit) हुआ है. हम इसके ‘आर्थिक प्रभाव’ (Economic Impact) का आकलन करने के लिए एक रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं.” आज़ाद ने कहा कि वे प्रतिदिन 1,000 यात्रियों (1,000 Yatris Per Day) की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन यह संख्या बढ़कर 3,000-4,000 हो गई है. उन्होंने कहा, “पहलगाम मार्ग से, यात्रा शुरू होने के बाद से 12,000 तीर्थयात्री (12,000 Pilgrims) निकले हैं. हमें देखना होगा कि यह कब तक बना रहता है.” यह आंकड़े ‘अमरनाथ यात्रा फुटफॉल’ (Amarnath Yatra Footfall) में अप्रत्याशित वृद्धि को दर्शाते हैं.