Maharashtra: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Maharashtra CM Devendra Fadnavis) ने व्यंग्यात्मक अंदाज में राज ठाकरे (Raj Thackeray) को ‘धन्यवाद’ दिया है, क्योंकि उन्होंने दो दशक (Two Decades) के बाद अपने ‘दूर के चचेरे भाई’ (Estranged Cousin) उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को फिर से एक साथ लाने का श्रेय उन्हें (फडणवीस को) दिया है. यह ‘महाराष्ट्र की राजनीति’ (Maharashtra Politics) में एक ‘अजीबोगरीब मोड़’ (Peculiar Turn) है, जहां प्रतिद्वंद्वी नेता भी अनजाने में ‘सुलह’ (Reconciliation) का जरिया बन जाते हैं. यह घटना ‘ठाकरे बंधुओं’ (Thackeray Brothers) और ‘राज्य की राजनीतिक गतिशीलता’ (State’s Political Dynamics) पर व्यापक बहस छेड़ सकती है.
राज ठाकरे के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कि ‘महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री’ (Maharashtra Chief Minister) ने वह हासिल किया जो ‘बाल ठाकरे’ (Bal Thackeray) भी नहीं कर सके थे, देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “उन्हें (राज और उद्धव को) एक साथ लाने का श्रेय देने के लिए मैं राज ठाकरे का ‘आभारी’ (Thankful) हूँ.” यह टिप्पणी फडणवीस की ‘हास्य विनोद’ (Sense of Humor) और ‘राजनीतिक कुशलता’ (Political Acumen) दोनों को दर्शाती है.
राज ठाकरे ने क्या कहा था? हिंदी भाषा विवाद पर सियासी गर्मी!
मुंबई के वर्ली (Worli, Mumbai) में महाराष्ट्र सरकार द्वारा राज्य के स्कूलों (State Schools) में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को शुरू करने के फैसले को वापस लेने के बाद आयोजित ‘विशाल रैली’ (Massive Rally) के दौरान राज ठाकरे ने कहा था, “उद्धव (ठाकरे) और मैं 20 साल बाद एक साथ आ रहे हैं… जो बालासाहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) नहीं कर सके, जो हजारों अन्य लोग नहीं कर सके – वह ‘देवेंद्र फडणवीस’ (Devendra Fadnavis) करने में कामयाब रहे.” यह बयान ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’ (Maharashtra Navnirman Sena – MNS) प्रमुख राज ठाकरे और ‘शिवसेना (यूबीटी)’ (Shiv Sena UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे के ‘करीब आने’ (Coming Closer) की एक ‘असाधारण घटना’ (Extraordinary Event) को दर्शाता है. ‘हिंदी भाषा विवाद’ (Hindi Language Row) एक ‘संवेदनशील मुद्दा’ (Sensitive Issue) बन गया है जो क्षेत्रीय भावनाओं (Regional Sentiments) को भड़काता है.
हिंदी भाषा विवाद की जड़: सरकार का पलटी मारना
महाराष्ट्र के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक ‘हिंदी भाषा’ (Hindi Language) को शुरू करने के विरोध के बाद, राज्य सरकार (State Government) ने 29 जून को ‘त्रि-भाषा नीति’ (Three-language policy) पर जारी ‘सरकारी प्रस्तावों’ (Government Resolutions – GRs) को रद्द कर दिया.
भाजपा (BJP) के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने शुरू में 16 अप्रैल को एक जीआर जारी किया था, जिसमें अंग्रेजी (English) और मराठी माध्यम (Marathi Medium) के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए हिंदी को एक ‘अनिवार्य तीसरी भाषा’ (Compulsory Third Language) बनाना अनिवार्य किया गया था. यह फैसला महाराष्ट्र में ‘स्थानीय भाषाओं के संरक्षण’ (Preservation of Local Languages) और ‘सांस्कृतिक अस्मिता’ (Cultural Identity) पर एक ‘बड़ा सवाल’ (Big Question) खड़ा कर रहा था.
शुरुआत में मूल ‘हिंदी थोपने’ (Hindi Imposition) के विरोध के रूप में घोषित की गई राज और उद्धव ठाकरे की मुंबई रैली को महाराष्ट्र सरकार द्वारा इस फैसले को वापस लेने के बाद ‘उत्सव में बदल दिया’ (Converted to a Celebration) गया. यह ‘सरकार पर जनता के दबाव’ (Public Pressure on Government) की एक मिसाल है.
उद्धव ठाकरे ‘निराशा में बोल रहे हैं’: फडणवीस का निशाना
राज ठाकरे (Raj Thackeray Statement) के तंज का जवाब देते हुए, देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis Speech) ने यह भी कहा कि हालांकि यह रैली ‘मराठी भाषा’ (Marathi Language) की ‘जीत’ (Victory) के लिए थी, उद्धव ठाकरे ने ‘राजनीति के बारे में’ (Speak About Politics) बात करना चुना और वह ‘निराशा में बोल रहे’ (Spoke out of Frustration) थे.
फडणवीस ने कहा, “यह मराठी भाषा के लिए एक जीत रैली थी, लेकिन उद्धव ठाकरे ने राजनीति और कैसे उन्हें सत्ता (Power) से बाहर किया गया, उसके बारे में बात करना चुना. वे निराशा में बोल रहे हैं, क्योंकि ‘बृहन्मुंबई नगर निगम’ (Brihanmumbai Municipal Corporation – BMC) पर 25 साल से अधिक समय तक शासन करने के बावजूद उनके पास दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है. इसके विपरीत, हमने शहर में ‘विकास’ (Development) लाया है और मुंबई में ‘मराठी माणूस’ (Marathi Manoos) के लिए ‘लगातार काम’ (Worked Relentlessly) किया है.” यह ‘महाराष्ट्र विकास’ (Maharashtra Development) और ‘मुंबई शहरी विकास’ (Mumbai Urban Development) के मुद्दों पर ‘राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप’ (Political Allegations) को दर्शाता है.
‘मराठी अभिमान’ पर राज और उद्धव ठाकरे का ‘पुनर्मिलन’
पहले एक-दूसरे से ‘अलग-थलग’ (Previously Estranged) पड़े चचेरे भाई राज और उद्धव ठाकरे शनिवार को वर्ली रैली (Worli Rally) में ‘मराठी अभिमान’ (Marathi Pride) को लेकर फिर से एकजुट हुए. यह ‘महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया अध्याय’ (New Chapter in Maharashtra Politics) लिख सकता है, खासकर ‘बीएमसी चुनाव’ (BMC Elections) और ‘राज्य विधानसभा चुनावों’ (State Assembly Elections) से पहले.
राज ठाकरे ने अपनी पार्टी, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS), के कार्यकर्ताओं को ‘दो टूक निर्देश’ (Blunt Directive) भी जारी किए थे, जब उनकी पार्टी रेस्तरां मालिक (Restaurant Owner) के मराठी (Marathi) में बात न करने पर हमला करने (Assaulting) के कारण विवादों (Controversy) में घिर गई थी. यह घटना ‘भाषा-आधारित विवादों’ (Language-Based Disputes) और ‘स्थानीयता के मुद्दे’ (Issue of Localism) पर जोर देती है, जो महाराष्ट्र की राजनीति में हमेशा एक ‘केंद्रीय भूमिका’ (Central Role) निभाता है.