Covid-19 Vaccines: कर्नाटक (Karnataka) के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Siddaramaiah) और बायोकॉन (Biocon) की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ (Kiran Mazumdar Shaw) के बीच एक ‘सार्वजनिक आदान-प्रदान’ (Public Exchange) ने राज्य में हासन जिले (Hassan District) में हुई अचानक मौतों (Sudden Deaths) की जांच पर ‘राष्ट्रीय ध्यान’ (National Attention) आकर्षित किया है. इन दोनों ‘सार्वजनिक हस्तियों’ (Public Figures) के बीच की बहस का केंद्र बिंदु यह है कि क्या कोविड-19 टीके (Covid-19 Vaccines) हृदय संबंधी मौतों (Heart-related Fatalities) में वृद्धि से जुड़े हो सकते हैं. यह ‘कोविड वैक्सीन बहस’ (Covid Vaccine Debate) भारत में ‘टीकाकरण कार्यक्रम’ (Vaccination Program) पर नए सवाल खड़े कर रही है.
4 जुलाई को अपने नवीनतम पोस्ट (Latest Post) में, बायोकॉन संस्थापक किरण मजूमदार शॉ ने मुख्यमंत्री के ‘वैज्ञानिक स्पष्टता’ (Scientific Clarity) की मांग वाली स्थिति से सहमत होते हुए दोहराया कि भारत में विकसित टीकों को ‘उचित प्रक्रिया’ (Due Process) के माध्यम से अनुमोदित (Approved) किया गया था. उन्होंने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “मेरी प्रतिक्रिया यह थी कि आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण (Emergency Use Authorisation – EUA) के लिए सुरक्षा (Safety) और प्रभावकारिता (Efficacy) के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation – WHO) द्वारा निर्धारित उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था. अचानक जीवन खोना हमेशा दुखद होता है और मुझे खुशी है कि हासन जिले में जांच (Investigation) की जा रही है.” यह बयान ‘वैक्सीन सुरक्षा’ (Vaccine Safety) और ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य’ (Public Health) के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करता है.
यह सिद्धारमैया के 3 जुलाई को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (Social Media Platform) पर किए गए पोस्ट के जवाब में आया है, जहां उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘वैक्सीन सुरक्षा’ (Vaccine Safety) के बारे में सवाल पूछना ‘शासन की जिम्मेदारी’ (Governance Responsibility) है, ‘गलत सूचना’ (Misinformation) नहीं. उन्होंने कहा, “जब माता-पिता अपने युवा बच्चों को खो देते हैं या परिवार बिना किसी चेतावनी के कमाने वाले को खो देते हैं, तो स्पष्टता मांगना गलत सूचना नहीं है; यह ‘समानुभूति’ (Empathy) में निहित शासन का एक कार्य है.” यह ‘सरकार की जिम्मेदारी’ (Government’s Responsibility) और ‘नागरिकों की चिंता’ (Citizens’ Concern) को दर्शाता है.
कई ‘पीयर-रिव्यू अध्ययन’ (Peer-Reviewed Studies) का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि कुछ कोविड-19 टीकों को ‘दुर्लभ हृदय संबंधी घटनाओं’ (Rare Cardiac Events) से जोड़ा गया है, और वैश्विक नियामक (Global Regulators), जिसमें WHO भी शामिल है, ने स्वीकार किया है कि ‘आपातकालीन रोलआउट’ (Emergency Rollouts) में “गणना किए गए जोखिम” (Calculated Risks) शामिल थे. यह ‘कोविड वैक्सीन साइड इफेक्ट्स’ (Covid Vaccine Side Effects) पर ‘अंतर्राष्ट्रीय सहमति’ (International Consensus) की ओर इशारा करता है.
सिद्धारमैया ने 1 जुलाई को अपनी पिछली टिप्पणियों का बचाव किया, जिसमें उन्होंने सुझाव दिया था कि ‘जल्दबाजी’ (Hasty) में वैक्सीन अनुमोदन ‘हार्ट अटैक’ (Heart Attacks) में वृद्धि का एक कारक हो सकता है. उन्होंने कहा था, “यह नकारा नहीं जा सकता कि कोविड-19 वैक्सीन को सार्वजनिक रूप से जल्दबाजी में मंजूरी और वितरण भी इन मौतों का एक कारण हो सकता है, जैसा कि दुनिया भर में हाल ही में कई अध्ययनों ने संकेत दिया है.” यह ‘वैक्सीन अनुमोदन प्रक्रिया’ (Vaccine Approval Process) पर एक ‘गंभीर सवाल’ (Serious Question) है.
मजूमदार शॉ ने पहले पलटवार करते हुए कहा था कि भारतीय टीकों को ‘अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रभावकारिता मानदंडों’ (International Safety and Efficacy Norms) का पालन करते हुए ‘आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण’ (Emergency Use Authorisation) ढांचे के तहत अनुमोदित किया गया था. उन्होंने 3 जुलाई को लिखा, “यह सुझाव देना कि इन टीकों को ‘जल्दबाजी में’ अनुमोदित किया गया था, ‘तथ्यात्मक रूप से गलत’ (Factually Incorrect) है और ‘सार्वजनिक गलत सूचना’ (Public Misinformation) में योगदान देता है.” उन्होंने आगे कहा, “इन टीकों ने लाखों लोगों की जान बचाई है और, सभी टीकों की तरह, बहुत कम व्यक्तियों में ‘साइड इफेक्ट्स’ (Side Effects) हो सकते हैं.” यह ‘टीकाकरण के लाभ’ (Benefits of Vaccination) और ‘सामान्य जोखिमों’ (Common Risks) पर प्रकाश डालता है.
जवाब में, सिद्धारमैया ने कहा, “जान बचाने में जल्दबाजी कोई पाप नहीं है, लेकिन ‘संभावित अनपेक्षित परिणामों’ (Potential Unintended Consequences) को स्वीकार करना ‘ज्ञान’ (Wisdom) है.” यह ‘नैतिक दुविधा’ (Ethical Dilemma) और ‘नीति निर्माण’ (Policy Making) के बीच के तनाव को दर्शाता है.
मुख्यमंत्री की टिप्पणियां हासन जिले में पिछले महीने 20 से अधिक लोगों की हार्ट अटैक से मौत (Death by Heart Attack) की खबरों के बाद आईं. इसके जवाब में, राज्य सरकार ने ‘जयदेव हृदय रोग विज्ञान और अनुसंधान संस्थान’ (Jayadeva Institute of Cardiovascular Sciences and Research) के निदेशक डॉ. रवींद्रनाथ (Dr. Ravindranath) की अध्यक्षता में एक ‘उच्च-स्तरीय विशेषज्ञ समिति’ (High-Level Expert Committee) का गठन किया है, ताकि इन मौतों की जांच की जा सके और दस दिनों के भीतर एक रिपोर्ट (Report) प्रस्तुत की जा सके. यह ‘स्वास्थ्य जांच’ (Health Investigation) और ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल’ (Public Health Initiative) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
यह वही पैनल है जिसे फरवरी 2025 में कर्नाटक में ‘युवा लोगों’ (Young People) में अचानक मौतों के कारण का अध्ययन करने और क्या कोविड-19 टीकाकरण (Covid-19 Vaccination) से कोई संबंध हो सकता है, इसका पता लगाने का काम सौंपा गया था. सिद्धारमैया ने कहा कि पैनल ‘हृदय संबंधी मामलों’ (Cardiac Cases) का मूल्यांकन जारी रखेगा और अपने निष्कर्ष (Findings) देगा, जिसके आधार पर सरकार ‘आगे की कार्रवाई’ (Further Action) करेगी.
उन्होंने कहा, “हम भी बच्चों, युवाओं और मासूम लोगों के जीवन को महत्व देते हैं जिनके सामने पूरा जीवन पड़ा है, और हम उनके परिवारों की चिंताओं को साझा करते हैं.” उन्होंने भाजपा (BJP) द्वारा इन मौतों का कथित तौर पर ‘राजनीतिकरण’ (Politicising the Deaths) करने की भी निंदा की. उन्होंने कहा, “इससे पहले कि भाजपा इस मामले पर हमारी आलोचना करे, उन्हें अपनी ‘अंतरात्मा’ (Conscience) से पूछना चाहिए.” यह ‘राजनीतिक बयानबाजी’ (Political Rhetoric) और ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट’ (Public Health Crisis) के बीच के टकराव को दर्शाता है.