PM Modi Trinidad Tobago visit: 3 जुलाई, 2025 (स्थानीय समय) को भारत के माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिनिदाद और टोबैगो की अपनी ऐतिहासिक यात्रा के दौरान, वहाँ की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिससेसर को महाकुंभ के पवित्र संगम जल और सरयू नदी के जल के साथ-साथ अयोध्या में निर्माणाधीन भव्य राम मंदिर की एक सुंदर प्रतिकृति भेंट की। यह भावपूर्ण भेंट न केवल भारत की समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, बल्कि कैरिबियाई राष्ट्र में बसे विशाल भारतीय मूल के लोगों के साथ भारत के गहरे सांस्कृतिक, भावनात्मक और पारिवारिक जुड़ाव को भी एक अनूठे ढंग से दर्शाती है। यह यात्रा भारत और त्रिनिदाद एवं टोबैगो के बीच संबंधों में एक मील का पत्थर साबित हुई, जहाँ सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आपसी सम्मान को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई।
‘बिहार की बेटी’ और सांस्कृतिक जुड़ाव का अनूठा संगम:
त्रिनिदाद और टोबैगो में अपने संबोधन के दौरान, प्रधान मंत्री मोदी ने विशेष रूप से बिहार राज्य के गौरवशाली ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने वहाँ उपस्थित भारतीय समुदाय के साहस, उद्यमता और भारत के प्रति उनके गहरे जुड़ाव की खुले दिल से प्रशंसा की। इस अवसर पर उन्होंने त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिससेसर को “बिहार की बेटी” कहकर संबोधित किया। यह संबोधन इसलिए अत्यंत महत्वपूर्ण था क्योंकि प्रधानमंत्री बिससेसर के पूर्वज भारत के बिहार राज्य के बक्सर जिले से ताल्लुक रखते हैं। स्वयं कमला प्रसाद-बिससेसर 2012 में अपने पैतृक गांव भेलूपुर, जो इटारही ब्लॉक के तहत आता है, का दौरा कर चुकी हैं। इस सांस्कृतिक तार को जोड़ते हुए, प्रधान मंत्री मोदी ने एक विशेष आग्रह किया कि वे भारत से लाए गए पवित्र सरयू नदी और महाकुंभ के जल को कैरिबियाई राष्ट्र की स्थानीय गंगा धारा में प्रवाहित करें। यह प्रस्ताव दोनों देशों के बीच आध्यात्मिकता के मिलन और भारत से जुड़ी सांस्कृतिक पहचान को संजोने की एक सशक्त पहल थी, जो प्रवासी भारतीयों के लिए बेहद भावनात्मक क्षण था।
प्रधानमंत्री मोदी का पांच-राष्ट्रों का ऐतिहासिक दौरा – मुख्य आकर्षण:
यह त्रिनिदाद और टोबैगो की यात्रा, प्रधान मंत्री मोदी की बहु-देशीय विदेश यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव थी। उनका उद्देश्य विभिन्न देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मजबूत करना तथा सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देना था। त्रिनिदाद और टोबैगो पहुँचने पर, प्रधानमंत्री मोदी का पियरको अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक शानदार सेरेमोनियल गार्ड ऑफ ऑनर द्वारा स्वागत किया गया। इस अवसर पर स्वयं त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिससेसर, उनके मंत्रिमंडल के 38 मंत्री और चार संसद सदस्य मौजूद रहे। इस यात्रा की एक और महत्वपूर्ण बात यह थी कि यह प्रधान मंत्री के रूप में मोदी की उस देश की पहली आधिकारिक यात्रा थी, और विशेष रूप से 1999 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की कैरिबियाई राष्ट्र की यह पहली द्विपक्षीय यात्रा थी। प्रधानमंत्री बिससेसर के निमंत्रण पर हुई इस महत्वपूर्ण यात्रा ने दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत की, जो भविष्य में और प्रगाढ़ होने की उम्मीद है।
भारत-त्रिनिदाद संबंधों की मजबूती और 45% भारतीय मूल की आबादी:
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जयसवाल ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि भारत और त्रिनिदाद एवं टोबैगो के बीच संबंध कितने गहरे और विशेष हैं। उन्होंने एक आंकड़े के हवाले से बताया कि त्रिनिदाद और टोबैगो की कुल आबादी का लगभग 45 प्रतिशत भारतीय मूल का है, जो इन दोनों राष्ट्रों के बीच अटूट संबंध का एक मजबूत प्रमाण है। जयसवाल ने आगे विस्तार से बताया कि इस भारतीय मूल की आबादी में से अधिकांश का संबंध भारत के उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों से है। विशेष रूप से, भोजपुरी भाषी क्षेत्रों जैसे छपरा, आरा, बलिया, सीवान, गोपालगंज, बनारस (वाराणसी), आजमगढ़ आदि से आए हुए लोग वहाँ की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक ताने-बाने का एक अभिन्न अंग हैं। प्रधान मंत्री मोदी की यह यात्रा इन्हीं गहरे सांस्कृतिक और मानवीय जड़ों को पुनः पोषित करने तथा मजबूत करने की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम रही। उन्होंने वहाँ उपस्थित भारतीय समुदाय को भारत की प्रगति का जीवंत प्रतीक बताया और वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती पहचान में उनके योगदान की मुक्त कंठ से सराहना की। इस दौरे ने यह भी स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया कि कैसे भारत अपनी सांस्कृतिक धरोहर, सॉफ्ट पावर और आध्यात्मिक मूल्यों के माध्यम से दुनिया भर में अपनी एक विशिष्ट और सकारात्मक छाप छोड़ रहा है। यह यात्रा दोनों देशों के बीच विश्वास, सहयोग और साझा सांस्कृतिक विरासत के आधार पर संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का माध्यम बनी है।