Odisha Strike: ओडिशा में प्रशासनिक और राजस्व सेवाओं से जुड़े लगभग 1500 से अधिक अधिकारी 1 जुलाई से अपनी अनिश्चितकालीन सामूहिक हड़ताल जारी रखे हुए हैं। यह हड़ताल भुवनेश्वर नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त रत्नाकर साहू (Ratnakar Sahoo) के साथ हुई मारपीट की घटना के विरोध में है। इस आंदोलन के कारण राज्य भर में, विशेष रूप से 20 से अधिक जिलों में सार्वजनिक सेवाएं (public services) ठप पड़ गई हैं, जिससे आम नागरिकों को भूमि रिकॉर्ड (land records) से लेकर सार्वजनिक शिकायतों के समाधान (public grievance redressal) जैसी महत्वपूर्ण प्रशासनिक प्रक्रियाओं में देरी का सामना करना पड़ रहा है।
हड़ताल का मुख्य कारण:
इस विरोध का मुख्य बिंदु 30 जून की वह घटना थी जब साहू को उनके कार्यालय कक्ष से खींचकर ले जाया गया था और कथित तौर पर बीजेपी नेता जगन्नाथ प्रधान (BJP leader Jagannath Pradhan) के इशारे पर शरारती तत्वों के एक समूह ने उनकी पिटाई की थी। हमलावरों ने कथित तौर पर साहू से सार्वजनिक शिकायत निवारण सुनवाई के दौरान प्रधान से माफी मांगने के लिए कहा था, जिसे ओडिशा प्रशासनिक सेवा संघ (OASA) ने “सार्वजनिक सेवा की गरिमा पर हमला” बताते हुए निंदा की है। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था, जिससे नौकरशाहों और आम जनता में आक्रोश फैल गया था और शीघ्र न्याय की मांग बढ़ गई थी।
गिरफ्तारियां और प्रमुख मांगें:
पुलिस आयुक्त के कार्यालय ने इस मामले में बीजेपी पार्षद अपारूप नारायण राउत (Aparaup Narayan Rout), संजीव मिश्रा, सच्चिकान्ता स्वाइन, रश्मि महपात्रा और देबासिस प्रधान को गिरफ्तार किया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इन सभी को पार्टी से निलंबित भी कर दिया है।
हालांकि ओएएस अधिकारियों ने सोमवार को मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद शुरुआत में अपनी हड़ताल स्थगित करने पर सहमति व्यक्त की थी, लेकिन अब उन्होंने तीन “गैर-परक्राम्य” (non-negotiable) मांगों को पूरा करने तक काम पर लौटने से इनकार कर दिया है। उनकी मुख्य मांगे इस प्रकार हैं:
- जगन्नाथ प्रधान की तत्काल गिरफ्तारी: उन्हें मुख्य आरोपी और सरगना बताया गया है।
- फील्ड-स्तरीय अधिकारियों के लिए मजबूत सुरक्षा उपाय: जैसे कि तहसीलदार, ब्लॉक विकास अधिकारी (BDO), और उप-कलेक्टर (Sub-collectors) के लिए सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
- प्रशासनिक ढांचे में विश्वास बहाल करने के लिए अनुकरणीय कार्रवाई: ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
जारी रहेगा विरोध प्रदर्शन:
संघ ने अपनी मांगों के पूरा होने तक हड़ताल जारी रखने की कसम खाई है। कटक, बालासोर, मयूरभंज, जगतसिंहपुर,भद्रक, रायगड़ा, बोलंगीर, सोनपुर, गंजाम और अन्य जिलों के अधिकारी भी इस विरोध में शामिल हो रहे हैं। अधिकारियों का दावा है कि प्रधान के कार्यों ने भय और अनादर का माहौल पैदा किया है, जिससे उनके लिए अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से और निष्पक्ष रूप से निभाना मुश्किल हो गया है।
सरकार की अपील और बीजेपी का रुख:
राज्य सरकार, इस व्यापक आंदोलन से अप्रत्याशित रूप से घिर गई है, उसने अधिकारियों से जनता के हित में काम फिर से शुरू करने की अपील की है। राजस्व मंत्री सुरेश पुजारी (Suresh Pujari) ने कहा कि अधिकारियों के लिए हड़ताल पर जाने का यह सही समय नहीं है, खासकर पुरी रथ यात्रा (Puri Ratha Yatra) और राज्य के कुछ हिस्सों में चल रही बाढ़ जैसी स्थिति को देखते हुए। उन्होंने अधिकारियों से काम पर लौटने का आग्रह किया और दोहराया कि राज्य सरकार चर्चा के लिए तैयार है।
वहीं, ओडिशा में राज्य बीजेपी नेतृत्व प्रधान का समर्थन करता दिख रहा है और उनके खिलाफ लगे आरोपों को नकार रहा है तथा इस हड़ताल को राजनीतिक रूप से प्रेरित बता रहा है। एक बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, “ये निराधार आरोप हैं जो सरकार की विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।” बुधवार शाम को प्रधान ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल (Manmohan Samal) से मुलाकात की और कहा कि उन्होंने कानून के अनुसार उनके खिलाफ की जाने वाली किसी भी कानूनी कार्रवाई में पूरा सहयोग देने की पेशकश की है। राज्य सरकार इस पर आगे का निर्णय लेगी और यदि कुछ तय होता है, तो सूचित किया जाएगा।
यह गतिरोध जारी रहने से ओडिशा में प्रशासनिक व्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है और जनता को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।