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UPSC success story: 40 की उम्र में IAS निसा उन्नीराजन ने 7वें प्रयास में UPSC टॉप कर रचा इतिहास

Published On: July 2, 2025
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UPSC success story: 40 की उम्र में IAS निसा उन्नीराजन ने 7वें प्रयास में UPSC टॉप कर रचा इतिहास
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UPSC success story: यह कहावत बिलकुल सच है कि कड़ी मेहनत और अटूट दृढ़ संकल्प से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। आज हम आपको एक ऐसी ही असाधारण महिला अधिकारी की प्रेरणादायक कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने तमाम बाधाओं और 6 बार की असफलता का सामना करने के बावजूद, 40 साल की उम्र में 7वें प्रयास में UPSC सिविल सेवा परीक्षा में न सिर्फ सफलता पाई, बल्कि टॉप भी किया! हम बात कर रहे हैं IAS निसा उन्नीराजन (IAS Nisa Unnirajan) की, जिनकी कहानी दृढ़ता, धैर्य और कभी हार न मानने वाले जज्बे का प्रतीक है।

40 की उम्र में, दो बच्चों की मां होते हुए भी पाया सफलता का मुकाम!

निसा उन्नीराजन ने जब 35 साल की उम्र में UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की, तब शायद उन्होंने भी यह नहीं सोचा होगा कि उनका सफर इतना लंबा और चुनौतियों भरा होगा। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। दो छोटी बेटियों, नंदना (11) और थानवी (7), और अपने पति अरुण (Arun) के पूर्ण समर्थन के साथ, निसा ने अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए अपनी परीक्षा की तैयारी जारी रखी। उनके माता-पिता, जो स्वयं रिटायर्ड पुलिसकर्मी हैं, ने भी उनकी इस यात्रा में उनका बहुत साथ दिया। यह पारिवारिक समर्थन ही उनकी ताकत का एक बड़ा स्रोत था।


6 बार की असफलता के बाद भी नहीं हारीं हिम्मत, 7वें प्रयास में किया टॉप!

निसा को अपने UPSC सफर में कई बार असफलता का सामना करना पड़ा। कई उम्मीदवार इन असफलताओं से हताश होकर रास्ता छोड़ देते हैं, लेकिन निसा का जज्बा देखने लायक था। उन्होंने प्रत्येक असफलता को एक सीख के रूप में लिया और अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखा।

उन्होंने तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) के एक निजी कोचिंग सेंटर से अपनी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी को और बेहतर बनाया। आखिरकार, 2024 में अपने 7वें प्रयास में, निसा ने वह कर दिखाया जो कई लोगों के लिए एक सपना होता है। उन्होंने न केवल UPSC परीक्षा पास की, बल्कि विकलांगता श्रेणी (Disability Category) में 1,000वीं रैंक हासिल करके सभी को चौंका दिया। यह उनकी असाधारण मेहनत और कभी हार न मानने वाले रवैये का प्रमाण है।


प्रेरणा का स्रोत और सकारात्मक प्रभाव:

निसा की प्रेरणा कोट्टायम के उप-कलेक्टर रंजीत (Ranjith) से मिली, जो स्वयं सुनने में विकलांग हैं। रंजीत की सफलता की कहानी ने निसा को प्रेरित किया कि किसी भी शारीरिक चुनौती को अपने सपनों के आड़े नहीं आने देना चाहिए।

निसा उन्नीराजन की यह सफलता कहानी न केवल उन लोगों के लिए प्रेरणादायक है जो UPSC की तैयारी कर रहे हैं, बल्कि यह हर उस व्यक्ति के लिए एक मिसाल है जो जीवन में किसी न किसी बाधा का सामना कर रहा है। यह हमें सिखाती है कि सही दिशा में की गई लगातार मेहनत और कभी हार न मानने वाला रवैया किसी भी मुश्किल को पार कर सफलता दिला सकता है।

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