बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश: खेल जगत को स्तब्ध कर देने वाली एक बेहद दुखद और दर्दनाक घटना में, उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के एक होनहार राज्य-स्तरीय कबड्डी खिलाड़ी, बृजेश सोलंकी, की रेबीज के कारण मौत हो गई। यह त्रासदी एक छोटी सी लापरवाही का भयानक परिणाम है, जो सभी के लिए एक गंभीर चेतावनी है। लगभग तीन महीने पहले, बृजेश एक पिल्ले (puppy) को बचाने की कोशिश कर रहे थे, जब उसने उन्हें काट लिया था। इस घाव को एक मामूली खरोंच समझकर, बृजेश ने इसे नज़रअंदाज़ कर दिया और सबसे महत्वपूर्ण कदम—रेबीज का टीका लगवाने से चूक गए।
दर्दनाक वीडियो और मौत से पहले की तड़प
बृजेश की मौत से कुछ दिन पहले के जो वीडियो सामने आए हैं, वे दिल दहला देने वाले हैं। इन वीडियो में, उन्हें दर्द से तड़पते और चिल्लाते हुए देखा जा सकता है। एक क्लिप में, कबड्डी खिलाड़ी पर रेबीज का जानलेवा हमला होते हुए साफ तौर पर दिखाई दे रहा है, जो इस बीमारी की भयावहता को दर्शाता है।
उनके कोच, प्रवीण कुमार, ने ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ को बताया, “बृजेश ने अपनी बांह में हो रहे दर्द को कबड्डी की एक सामान्य चोट समझ लिया था। कुत्ते का काटना बहुत मामूली लग रहा था, और उसने इसे गंभीरता से नहीं लिया, इसीलिए उसने वैक्सीन नहीं लगवाई।”
जब लक्षण सामने आए और शुरू हुई अस्पतालों की दौड़
रिपोर्ट्स के अनुसार, 26 जून को एक अभ्यास सत्र के दौरान, बृजेश ने अपने शरीर में सुन्नपन की शिकायत की। उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन जैसे-जैसे उनकी हालत बिगड़ती गई, उन्हें नोएडा के एक निजी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया।
उनके भाई, संदीप कुमार, ने एक बेहद गंभीर आरोप लगाया कि बृजेश को कई सरकारी अस्पतालों में इलाज देने से मना कर दिया गया। ‘TOI’ ने संदीप के हवाले से कहा, “अचानक, उसे पानी से डर लगने लगा और उसमें रेबीज के लक्षण दिखने लगे, लेकिन हमें खुर्जा, अलीगढ़ और यहां तक कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में भी इलाज से इनकार कर दिया गया। आखिरकार नोएडा के डॉक्टरों ने पुष्टि की कि वह संभवतः रेबीज से संक्रमित है।”
इलाज में हुई देरी और बीमारी के गंभीर रूप ले लेने के कारण, बृजेश ने 28 जून को दम तोड़ दिया।
एक होनहार खिलाड़ी को नम आंखों से विदाई
बृजेश सोलंकी बुलंदशहर के फराना गांव के रहने वाले थे। वह अपने क्षेत्र के एक उभरते हुए सितारे और युवाओं के लिए प्रेरणा थे। उनकी मौत की खबर से पूरे इलाके में मातम पसर गया। जब उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो अपने इस प्रिय कबड्डी खिलाड़ी को अंतिम विदाई देने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा, और हर किसी की आंखें नम थीं।
बृजेश की यह दुखद कहानी एक मार्मिक सबक है कि जानवरों, विशेषकर कुत्तों के काटने या खरोंचने को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। चाहे घाव कितना भी छोटा क्यों न हो, 24 घंटे के भीतर एंटी-रेबीज वैक्सीन लगवाना जान बचाने के लिए अत्यंत आवश्यक है। एक छोटी सी चूक एक अनमोल जीवन पर कितनी भारी पड़ सकती है, यह घटना उसका सबसे दर्दनाक उदाहरण है।