नई दिल्ली/बेंगलुरु: कर्नाटक के हासन जिले में सिर्फ एक ही दिन में दिल का दौरा पड़ने से चार लोगों की अचानक मौत ने पूरे समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना भारत भर में चुपचाप फैल रही एक महामारी की ओर इशारा करती है, जहां युवाओं की जीवनशैली उन्हें मौत के मुंह में धकेल रही है। पिछले 40 दिनों में अकेले हासन जिले में हृदय-संबंधी बीमारियों से 22 मौतें हो चुकी हैं, जिनमें से कई युवा और मध्यम आयु वर्ग के वयस्क थे, जिसने स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है।
क्या है पूरा मामला?
30 जून को, 50 से 63 वर्ष की आयु के चार पुरुषों की अचानक हृदय गति रुकने (cardiac events) से मृत्यु हो गई, जिनमें एक प्रोफेसर, एक सरकारी कर्मचारी और दो स्थानीय निवासी शामिल थे। हाल के हफ्तों में हुई 22 मौतों में सबसे कम उम्र का पीड़ित महज 19 साल का था। इस घटना के बाद लोगों में चिंता बढ़ गई है, और बेंगलुरु के जयदेवा इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवैस्कुलर साइंसेज जैसे अस्पतालों में ओपीडी में 8% की वृद्धि दर्ज की गई है। हासन और आसपास के क्षेत्रों से चिंतित निवासी एहतियाती जांच के लिए अस्पतालों का रुख कर रहे हैं।
कर्नाटक में दिल के स्वास्थ्य का यह संकट अभिनेत्री और मॉडल शेफाली जरीवाला के निधन के बाद और भी सुर्खियों में आया, जिनकी 42 साल की उम्र में 27 जून को कार्डियक अरेस्ट से मृत्यु हो गई थी।
“अब मैं हर दूसरे दिन युवा मरीज़ देखता हूँ”: डॉ. रमाकांत पांडा
प्रसिद्ध कार्डियक सर्जन और एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन, डॉ. रमाकांत पांडा का कहना है कि यह चिंताजनक प्रवृत्ति कोई संयोग नहीं है, बल्कि यह बड़े पैमाने पर बिगड़ती जीवनशैली (widespread lifestyle deterioration) का सीधा नतीजा है।
डॉ. पांडा ने IndiaToday.in को बताया, “तीस साल पहले, मैं एक साल में 30 साल के किसी एक व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट के साथ देखता था। आज, मैं लगभग हर दूसरे दिन ऐसे मामले देखता हूँ, कभी-कभी तो एक ही दिन में चार।”
उनके अनुसार, अचानक कार्डियक अरेस्ट से होने वाली मौतों में यह वृद्धि, विशेष रूप से 20, 30 और 40 की उम्र के लोगों में, बड़े पैमाने पर आनुवंशिकी (genetics) के कारण नहीं, बल्कि वर्षों से जीवनशैली के साथ किए गए दुर्व्यवहार का परिणाम है।
एक घातक मिश्रण: तनाव, खराब नींद और गलत खान-पान
डॉ. पांडा पांच बार-बार सामने आने वाले मुख्य कारणों पर प्रकाश डालते हैं:
- गतिहीन जीवनशैली (Sedentary Lifestyles): शारीरिक गतिविधि का अभाव।
- खराब खान-पान (Poor Dietary Habits): तला हुआ, वसायुक्त और मीठा भोजन।
- लगातार तनाव (Chronic Stress): मानसिक और शारीरिक तनाव।
- तंबाकू का उपयोग (Tobacco Use): जिसमें धुआं रहित तंबाकू भी शामिल है, जो सिगरेट से ज्यादा खतरनाक है।
- अपर्याप्त नींद (Inadequate Sleep): 8 घंटे की नींद न लेना और देर रात तक जागना।
वह कहते हैं, “लोग रात 10 बजे तक नहीं सो रहे हैं, उन्हें आठ घंटे का आराम नहीं मिल रहा है, और वे लगातार अस्वास्थ्यकर भोजन कर रहे हैं। ये आदतें, खासकर जब एक साथ मिल जाती हैं, तो हृदय के पतन के लिए एक ‘परफेक्ट स्टॉर्म’ (perfect storm) बना रही हैं।”
जब युवा अपनी सीमाएं लांघते हैं
सबसे कमजोर लोगों में वे शामिल हैं जो अचानक खुद पर बहुत अधिक जोर डालते हैं, जैसे कि अप्रशिक्षित धावक जो मैराथन जैसी प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। डॉ. पांडा समझाते हैं, “मैराथन के दौरान कई कार्डियक अरेस्ट आखिरी मील में होते हैं, जब लोग अपने शरीर की कंडीशनिंग से परे जाकर खुद को धकेलते हैं। यह एक खतरनाक भ्रम है कि युवावस्था का मतलब अजेय होना है।”
सप्लीमेंट कल्चर और IV ड्रिप्स: सावधानी से आगे बढ़ें
दिल के खतरों के बारे में बढ़ती जागरूकता के साथ, कई लोग सप्लीमेंट्स, आईवी ड्रिप्स (IV drips) और एंटी-एजिंग थेरेपी की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन डॉ. पांडा संदेह का आग्रह करते हैं।
वह चेतावनी देते हैं, “ग्लूटाथियोन (glutathione) जैसी आईवी वेलनेस थेरेपी के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। कोई भी चीज जो आंत को बायपास करके सीधे रक्तप्रवाह में जाती है, वह जोखिम भरी होती है और इसे कभी भी लापरवाही से नहीं लेना चाहिए।”
डॉ. पांडा जीवन के मूल सिद्धांतों पर लौटने की सलाह देते हैं: संतुलित भोजन, दैनिक व्यायाम, नियमित नींद और भावनात्मक तनाव का प्रबंधन।
सरकार की प्रतिक्रिया और जांच
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा मौतों का संबंध कोविड वैक्सीन या अन्य स्वास्थ्य कारकों से होने की आशंका जताए जाने के बाद, कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग ने इन मौतों के कारण की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है। जिले के स्वास्थ्य आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो वर्षों में हासन में दिल के दौरे के 507 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 190 घातक थे – जो एक व्यापक स्वास्थ्य आपातकाल का स्पष्ट चेतावनी संकेत है।