Mobile Addiction: राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने मंगलवार, 1 जुलाई को एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया है, जो बच्चों के स्वास्थ्य और विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश देने का सुझाव दिया है कि सभी माध्यमिक शिक्षा बोर्डों (all secondary education boards) को एक ऐसा पाठ्यक्रम (curriculum) तैयार करना चाहिए जो बच्चों में जंक फूड खाने की आदत को हतोत्साहित (discourage junk food) करे और मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग पर समय-सीमा निर्धारित करने (time limit on excessive use of mobile phones) का प्रावधान करे।
मोबाइल का अति प्रयोग: युवा पीढ़ी पर गंभीर खतरा
जस्टिस अनुप कुमार ढांड (Justice Anup Kumar Dhand) ने इस चिंता को व्यक्त करते हुए कहा कि मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग 1 से 21 वर्ष तक की उम्र के बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य (physical and mental health) पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि अब समय आ गया है कि सरकार, शिक्षा विभाग और अभिभावक (government, education department and parents) इस समस्या के प्रति जागरूक हों और बच्चों में मोबाइल के अनौपचारिक/आकस्मिक उपयोग (casual use of mobile phones) पर सख्ती से अंकुश लगाएं (strictly curb)।
स्कूलों में जंक फूड और मोबाइल के दुष्परिणामों के प्रति जागरूकता:
कोर्ट ने सुझाव दिया कि स्कूल परिसरों में साइनबोर्ड (signboards in school premises) पर इन दिशानिर्देशों को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, पाठ्यपुस्तकों (textbooks) में ऐसे अध्याय शामिल किए जाने चाहिए जो बच्चों को जंक फूड और मोबाइल की लत के खतरों (dangers of junk food and mobile addiction) से अवगत कराएं।
साथ ही, बच्चों को दादी-नानी की रसोई (grandmother’s kitchen) और घर के बने पारंपरिक खाने के फायदे (benefits of homemade traditional food) भी बताए जाएं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उनका शारीरिक और मानसिक विकास (physical and mental development) बेहतर हो सके। यह कदम बच्चों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और आधुनिक जीवनशैली की नकारात्मकताओं से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
स्वास्थ्यप्रद जीवनशैली और शिक्षा का महत्व:
यह सुझाव इस बात पर प्रकाश डालता है कि शिक्षा केवल अकादमिक ज्ञान तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसमें बच्चों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और समाज की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना भी शामिल है। जंक फूड की लत और मोबाइल के अति उपयोग से निपटने के लिए यह एक बहुआयामी दृष्टिकोण (multi-pronged approach) की आवश्यकता पर बल देता है।