Gujarat High Court: गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने हाल ही में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (Video Conferencing) के माध्यम से सुनवाई (Hearings) में भाग लेने वाले वकीलों के लिए एक महत्वपूर्ण और सख़्त फैसला सुनाया है। अदालत ने उन वकीलों पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है जो सुनवाई के दौरान निर्धारित पेशेवर ड्रेस कोड (Professional Dress Code) यानी कोट-पेंट (Gown) नहीं पहन रहे हैं। न्यायाधीश एम.के. ठक्कर (Justice MK Thakker) की एक बेंच ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भले ही वकील वर्चुअली (Virtually) पेश हो रहे हों, कोर्ट की गरिमा (Courtroom Decorum) बनाए रखना और पेशेवर पोशाक नियमों का पालन करना उनके लिए अनिवार्य है।
वर्चुअल उपस्थिति भी फिजिकल उपस्थिति के समान है: हाईकोर्ट का सख्त रवैया
अदालत ने इस बात पर विशेष बल दिया कि वर्चुअल उपस्थिति (Virtual Presence), कोर्टरूम में फिजिकल उपस्थिति के ही समकक्ष है और इसे उसी स्तर की औपचारिकता (Formality) के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए। यह स्पष्ट करता है कि तकनीक के माध्यम से भी कोर्ट की गरिमा और पेशेवर माहौल बनाए रखना आवश्यक है। हाईकोर्ट रूल्स और प्रोफेशनल एथिक्स का पालन सभी के लिए अनिवार्य है।
प्रावधानों का ज़िक्र: ये नियम देते हैं वकीलों को बांधने का अधिकार
इस संबंध में, अदालत ने गुजरात हाईकोर्ट रूल्स, 1993 (Gujarat High Court Rules, 1993), बार काउंसिल ऑफ इंडिया रूल्स (Bar Council of India Rules), गुजरात हाईकोर्ट रूल्स फॉर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, और फरवरी 2024 में जारी एक सर्कुलर (Circular) के माध्यम से संशोधित मानक संचालन प्रक्रिया (Revised SOP for Hybrid Hearings) का भी उल्लेख किया।
अदालत ने इन सभी प्रावधानों का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि ये नियम, चाहे वह किसी भी मोड में पेशी हो, वकीलों को उचित पेशेवर पोशाक (Proper Professional Attire) में उपस्थित होने की समान रूप से आवश्यकता बताते हैं।
महत्वपूर्ण: अनुचित कपड़ों पर ‘राइट ऑफ़ ऑडियंस’ रद्द हो सकता है!
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बेंच ने अपने आदेश में यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि कोई वकील वर्चुअल सुनवाई के दौरान अनुचित कपड़ों (Improper Dress) में उपस्थित होता है, तो उसका सुनवाई का अधिकार (Right of Audience) वापस लिया जा सकता है। यह वकीलों के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है कि वे ड्रेस कोड का पालन न करने के गंभीर परिणाम भुगत सकते हैं।
अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम:
अपने आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए, अदालत ने रजिस्ट्रार जनरल (Registrar General) को इस मामले को मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) के समक्ष रखने और एक उपयुक्त परिपत्र (Circular) जारी करने का निर्देश दिया है। इस परिपत्र के माध्यम से सभी संबंधित पक्षों को इस आवश्यकता की सूचना दी जाएगी और भविष्य में सख्त अनुपालन (Strict Adherence) अनिवार्य किया जाएगा।
वर्चुअल हियरिंग के दौरान वॉशरूम में पकड़ा गया व्यक्ति, लगा था भारी जुर्माना!
इसी से संबंधित एक अन्य खबर में, गुजरात हाईकोर्ट की वर्चुअल कार्यवाही में एक व्यक्ति को कथित तौर पर वॉशरूम (Washroom) से भाग लेते हुए देखे जाने का एक वीडियो हाल ही में वायरल हुआ था। यह घटना पेशेवर आचरण की कमी को दर्शाती है।
इससे पहले इस साल, हाईकोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट की कार्यवाही में लैविटोरी (Lavatory) से भाग लेने वाले एक व्यक्ति पर 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। संबंधित व्यक्ति को हाईकोर्ट परिसर के बगीचों की दो सप्ताह तक सफाई करने की सामुदायिक सेवा (Community Service) करने का भी निर्देश दिया गया था।
2020 में, गुजरात हाईकोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालती कार्यवाही के दौरान धूम्रपान करते हुए देखे गए एक वकील के “गैर-जिम्मेदाराना आचरण” (Irresponsible Conduct) को लेकर कड़ा रुख अपनाया था और उस पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। ये सभी घटनाएं अदालतों के अंदर और बाहर पेशेवर व्यवहार के महत्व को रेखांकित करती हैं।







