Liquors Tax in India: भारत में शराब का सेवन एक बड़ा सामाजिक और आर्थिक पहलू है। लोग अपनी पसंद और सुविधा के अनुसार देसी शराब से लेकर महंगी ब्रांडेड शराब तक खरीदते हैं। इस बढ़ते उपभोग के कारण, राज्य सरकारों को शराब की बिक्री से भारी मात्रा में राजस्व प्राप्त होता है। ऐसे में यह जानना बेहद दिलचस्प हो जाता है कि भारत में शराब पर सबसे अधिक टैक्स कौन सा राज्य लगाता है और बीयर बनाम हार्ड लिकर पर टैक्स की दरें क्या हैं। यह जानकारी न केवल उपभोक्ताओं के लिए, बल्कि अर्थव्यवस्था को समझने वालों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
बीयर बनाम हार्ड लिकर: टैक्स का गणित
भारत में शराब पर लगने वाले कर मुख्य रूप से दो श्रेणियों में आते हैं: उत्पाद शुल्क (Excise Duty) और मूल्य वर्धित कर (VAT)। ये दरें हर राज्य में अलग-अलग होती हैं, और इसी भिन्नता के कारण शराब की कीमतें भी राज्य दर राज्य बदलती रहती हैं।
बीयर पर कम टैक्स की दरें:
यह एक आम धारणा है और वास्तविकता भी कि देश के कई राज्यों में बीयर और वाइन पर कर की दरें कठोर शराब (Hard Liquor) की तुलना में काफी कम रखी जाती हैं। विशेष रूप से केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में, बीयर पर लगने वाला कर, व्हिस्की, रम या वोदका जैसी हार्ड लिकर की तुलना में बहुत कम है। इसके पीछे मुख्य कारण बीयर में अल्कोहल की मात्रा कम होना है, जिसके कारण इसे अक्सर एक ‘हल्के पेय’ (Light Beverage) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इस वर्गीकरण का लाभ बीयर उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों को मिलता है। बीयर पर कम उत्पाद शुल्क इसे अधिक सुलभ बनाता है।
हार्ड लिकर पर उच्च कर: राजस्व का प्रमुख जरिया
दूसरी ओर, कठोर शराब (Hard Liquor) जैसे कि व्हिस्की, रम, वोदका, और ब्रांडी पर अक्सर उच्च उत्पाद शुल्क और वैट लगाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य शराब के अत्यधिक सेवन को हतोत्साहित करना और साथ ही, राज्य सरकारों के लिए राजस्व जुटाना है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख राज्यों में, हार्ड लिकर पर कर की दरें काफी अधिक हैं, जो 64% से लेकर 83% तक के बीच हो सकती हैं। ये उच्च कर दरें सीधे तौर पर शराब की अंतिम खुदरा मूल्य को प्रभावित करती हैं, जिससे यह आम उपभोक्ताओं के लिए काफी महंगी हो जाती है। शराब पर भारी टैक्स लगने के कारण इसकी खपत पर नियंत्रण रखने का प्रयास किया जाता है।
सरकार के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत
सरल शब्दों में कहें तो, बीयर की तुलना में हार्ड लिकर (जैसे रम, व्हिस्की) पर बहुत अधिक कर लगाया जाता है। इसका सबसे बड़ा और स्पष्ट कारण यह है कि शराब, विशेषकर हार्ड लिकर, राज्य सरकारों के लिए राजस्व (Revenue) का एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्रोत है। शराब की बिक्री पर उच्च कर लगाकर, सरकारें अपने खजाने को बढ़ाती हैं, जिसका उपयोग वे विभिन्न विकास कार्यों, लोक कल्याणकारी योजनाओं, और सार्वजनिक सेवाओं के वित्तपोषण में करती हैं। इस प्रकार, आप जो भी पेय खरीदते हैं, उस पर लगने वाला कर सीधे तौर पर राज्य की आय और आपके अपने खर्चों को प्रभावित करता है। यह एक ऐसा आर्थिक मॉडल है जो सदियों से विभिन्न सरकारों द्वारा अपनाया गया है। भारत में शराब कराधान का यह मॉडल सामाजिक नियंत्रण और वित्तीय प्रबंधन दोनों का एक महत्वपूर्ण पहलू है।