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Jharkhand Liquor Policy: 1 जुलाई से सरकारी नियंत्रण में होंगी सभी दुकानें, घोटाले की खुलेगी पोल

Published On: June 28, 2025
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Jharkhand Liquor Policy: 1 जुलाई से सरकारी नियंत्रण में होंगी सभी दुकानें, घोटाले की खुलेगी पोल
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Jharkhand Liquor Policy: राज्य में नई शराब नीति (New Liquor Policy) को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया है, जिसके तहत प्रदेश की सभी खुदरा शराब की दुकानों के हस्तांतरण और ऑडिट की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। सरकार का यह कदम शराब की बिक्री में पारदर्शिता लाने और बहुचर्चित शराब घोटाले (Liquor Scam) की तह तक पहुंचने के एक बड़े प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। इस नई व्यवस्था के तहत, 1 जुलाई से राज्य भर की सभी खुदरा शराब की दुकानें और उनके कर्मचारी सीधे आबकारी विभाग (Excise Department) के नियंत्रण में आ जाएंगे।

क्या है नई व्यवस्था और क्यों है यह महत्वपूर्ण?

अब तक राज्य के कई जिलों में शराब की दुकानों का संचालन प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से किया जा रहा था। इन एजेंसियों की जिम्मेदारी 30 जून को समाप्त हो रही है। पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर) जिले में यह प्रक्रिया एक महीने पहले ही पूरी की जा चुकी है, जहाँ 1 जून से सभी खुदरा दुकानों के कर्मचारी सफलतापूर्वक आबकारी विभाग के तहत काम कर रहे हैं। अब यही मॉडल पूरे राज्य में लागू किया जाएगा।

1 जुलाई से, सभी 23 जिलों में खुदरा दुकानों पर काम करने वाले कर्मचारियों का मानदेय सीधे उत्पादन विभाग द्वारा दिया जाएगा। इसके लिए संबंधित जिले के सहायक आबकारी आयुक्त और आबकारी अधीक्षक को उनका प्रत्यक्ष नियंत्रण अधिकारी नियुक्त किया गया है। ये अधिकारी अब कर्मचारियों के कामकाज, दैनिक बिक्री और सरकारी खजाने में जमा होने वाली राशि का पूरा हिसाब-किताब रखेंगे। सरल शब्दों में, जो भूमिका पहले प्लेसमेंट एजेंसियां निभा रही थीं, अब वह जिम्मेदारी सीधे सरकारी अधिकारियों के कंधों पर होगी।

स्टॉक ऑडिट से खुलेगी घोटाले की परतें

आबकारी और निषेध विभाग (Excise and Prohibition Department) ने सभी जिलों के संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों में कहा गया है कि प्लेसमेंट एजेंसियों से शराब की दुकानों और उनके स्टॉक का अधिग्रहण पूरी तरह से पारदर्शी और व्यवस्थित तरीके से किया जाए। इस प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा स्टॉक का मिलान (Stock Matching) करना है।

इस व्यापक ऑडिट और मिलान की कार्रवाई से कई महत्वपूर्ण सवालों के जवाब मिलेंगे:

  • किस एजेंसी या व्यक्ति पर सरकार का कितना पैसा बकाया है?
  • अब तक कुल कितनी शराब बेची गई और उसका रिकॉर्ड क्या है?
  • दुकानों में वर्तमान में कितना स्टॉक मौजूद है?
  • शराब की बिक्री से प्राप्त हुई कुल राशि में से कितनी रकम विभाग के खाते में जमा की गई?

इस पूरी जांच से शराब घोटाले की नवीनतम और सटीक जानकारी सामने आने की उम्मीद है। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि राजस्व का कोई भी नुकसान न हो और पूरी बिक्री प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी न हो। हस्तांतरण और ऑडिट की इस पूरी कार्रवाई को 1 जुलाई से शुरू करके एक सप्ताह के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह कदम राज्य की आबकारी नीति में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है, जिससे भविष्य में सरकारी राजस्व में वृद्धि और भ्रष्टाचार पर लगाम लगने की प्रबल संभावना है।


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