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Viral Video: महाराष्ट्र के जंगल का यह वीडियो देख दुनिया हैरान, 90 साल बाद दिखा रहस्यमयी जीव

Published On: June 27, 2025
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Viral Video: महाराष्ट्र के जंगल का यह वीडियो देख दुनिया हैरान, 90 साल बाद दिखा रहस्यमयी जीव
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Viral Video: इस पृथ्वी पर ऐसे कई जीव-जंतु हैं, जो इंसानी गतिविधियों और बदलते पर्यावरण के कारण धीरे-धीरे विलुप्त हो, जिसने वन्यजीव प्रेमियों और विशेषज्ञों के बीच उत्साह की लहर दौड़ा दी है। ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूजर द्वारा शेयर की गई यह वीडियो अब चर्चा का विषय बन गई है।

सह्याद्री टाइगर रिजर्व में दिखा दशकों से ‘लापता’ जानवर

बताया जा रहा है कि यह दुर्लभ वीडियो महाराष्ट्र के प्रसिद्ध सह्याद्री टाइगर रिजर्व (Sahyadri Tiger Reserve) का है। जंगल के बफर जोन में घूमने आए एक पर्यटक को अचानक एक पूरी तरह से काला जंगली कुत्ता (melanistic dhole) दिखाई दिया। इस अद्भुत क्षण को देखकर पर्यटक ने उसे तुरंत अपने कैमरे में कैद कर लिया। विशेषज्ञों की मानें तो इस प्रकार के जानवर को लगभग 90 साल के लंबे अंतराल के बाद देखा गया है, जो इस खोज को और भी महत्वपूर्ण बना देता है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, इस अनोखे जानवर को सबसे पहले दिग्विजय पाटिल नाम के एक प्रकृति प्रेमी और पर्यटक ने देखा था। दिग्विजय पाटिल जब सह्याद्री टाइगर रिजर्व की अपनी यात्रा पर थे, तब उनकी नजर इस काले जंगली कुत्ते पर पड़ी। उन्होंने इस अविश्वसनीय क्षण को महसूस करते हुए तुरंत इसे अपने कैमरे में रिकॉर्ड कर लिया और बाद में संबंधित अधिकारियों को सूचित किया।

वन विभाग ने की पुष्टि, 1936 के बाद पहली बार दिखा

इस वीडियो के सामने आने के बाद, वन विभाग (Forest Department) ने इसकी जांच की और पुष्टि कर दी है कि यह वास्तव में एक मेलानिस्टिक ढोल (Melanistic Dhole) ही है। ‘मेलानिस्टिक’ एक आनुवंशिक स्थिति है, जिसमें मेलेनिन नामक पिगमेंट की अधिकता के कारण जीव का रंग सामान्य से बहुत गहरा या पूरी तरह से काला हो जाता है।

वन विभाग के अनुसार, भारत में एक मेलानिस्टिक ढोल को आखिरी बार 1936 में तमिलनाडु के कोयंबटूर के पास आधिकारिक रूप से दर्ज किया गया था। इसे ब्रिटिश नेचुरलिस्ट आर.सी. मॉरिस (R.C. Morris) ने अपने रिकॉर्ड्स में दर्ज किया था। उस घटना के लगभग 88-90 वर्षों के बाद, यह भारत में इसकी पहली पुष्टि की गई Sichtung है।

क्या है मेलानिस्टिक ढोल और क्यों है यह खास?

मेलानिस्टिक ढोल, जिन्हें एशियाई जंगली कुत्ते (Asiatic Wild Dogs) के रूप में भी जाना जाता है, सामान्य कुत्तों से बिल्कुल अलग और बेहद खास होते हैं।

  • दिखावट: इन कुत्तों का शरीर भे रहे हैं या हमारी नजरों से ओझल हो गए हैं। लेकिन कभी-कभी, प्रकृति हमें ऐसे चमत्कार दिखाती है, जिन पर यकीन कर पाना मुश्किल हो जाता है। हाल ही में, सोशल मीडिया पर एक जंगल के अंदर घूमते हुए एक ऐसे ही अनोखे और दुर्लभ जानवर का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक यूजर द्वारा शेयर किए गए इस वीडियो ने वन्यजीव प्रेमियों और विशेषज्ञों को हैरत में डाल दिया है।

90 साल बाद महाराष्ट्र के जंगल में दिखा यह दुर्लभ जीव

बताया जा रहा है कि यह हैरान कर देने वाला वीडियो महाराष्ट्र के सह्याद्री टाइगर रिजर्व (Sahyadri Tiger Reserve) का है। जंगल के बफर जोन में घूमने आए एक पर्यटक को अचानक एक पूरी तरह से काला जंगली कुत्ता (जिसे मेलानिस्टिक ढोल – Melanistic Dhole भी कहते हैं) दिखाई दिया। इस अविश्वसनीय क्षण को पर्यटक ने तुरंत अपने कैमरे में कैद कर लिया। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के जानवर को भारत के जंगलों में लगभग 90 साल बाद देखा गया है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, इस अनोखे और दुर्लभ जानवर को दिग्विजय पाटिल नाम के एक प्रकृति प्रेमी और पर्यटक ने देखा था। दिग्विजय पाटिल जब सह्याद्री टाइगर रिजर्व की यात्रा पर थे,ड़ियों और लोमड़ियों का मिश्रण जैसा होता है। इनकी पीठ लंबी होती है और टांगें बिल्लियों की तरह पतली होती हैं।

  • आवाज़: यह जानवर न तो आम कुत्तों की तरह भौंकते हैं और न ही भेड़ियों की तरह गुर्राते (Howl) हैं। इनकी आवाज़ सबसे अनोखी होती है।
  • सीटी बजाने वाले कुत्ते: मेलानिस्टिक ढोल आपस में संवाद करने के लिए सीटी जैसी आवाजें निकालते हैं। इसी अनूठी विशेषता के कारण, इन्हें ‘व्हिसलिंग डॉग्स’ (Whistling Dogs) या ‘सीटी बजाने वाले कुत्ते’ भी कहा जाता है।

यह जीव बेहद सामाजिक होते हैं और आमतौर पर 5 से 12 सदस्यों के झुंड (Pack) में रहते और शिकार करते हैं। तब उन्होंने इस काले जंगली कुत्ते को देखा और बिना कोई समय गंवाए उसे अपने कैमरे में रिकॉर्ड कर लिया। यह वीडियो अब वन्यजीव संरक्षण की दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है।

वन विभाग ने की पुष्टि, 1936 में आखिरी बार दिखा था

इस वीडियो के सामने आने के बाद, महाराष्ट्र वन विभाग (Maharashtra Forest Department) ने इसकी पुष्टि कर दी है कि वीडियो में दिख रहा जीव वास्तव में एक मेलानिस्टिक ढोल (Melanistic Dhole) ही है। ‘मेलानिस्टिक’ का अर्थ है कि किसी जीव की त्वचा या बालों में मेलानिन पिगमेंट की अधिकता के कारण उसका रंग सामान्य से कहीं ज्यादा गहरा या पूरी तरह से काला हो जाता है।

वन विभाग के अनुसार, मेलानिस्टिक ढोल को भारत में आखिरी बार आधिकारिक तौर पर **19 अपनी बुद्धिमत्ता और रणनीति के कारण, वे अपने क्षेत्र में मौजूद बाघों और तेंदुओं जैसे बड़े शिकारियों से टकराव से बचते हैं।

यह दुर्लभ sighting सह्याद्री टाइगर रिजर्व के स्वस्थ और विविध पारिस्थितिकी तंत्र का एक सकारात्मक36 में तमिलनाडु के कोयंबटूर के पास** देखा गया था, जिसे एक ब्रिटिश नेचुरलिस्ट आर. संकेत है। यह घटना वन्यजीव संरक्षण (Wildlife Conservation) के प्रयासों के महत्व को रेखांकित करती है और हमेंसी. मॉरिस ने अपने रिकॉर्ड्स में दर्ज किया था। उस घटना के लगभग 9 दशक बाद इसकी मौजूदगी की प्रकृति के अनमोल खजानों को बचाने के लिए प्रेरित करती है।

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