Punjab News: पंजाब के ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण शहर जालंधर की सुंदरता को और निखारने तथा यहाँ के नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए, जिला प्रशासन ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। शहर की सड़कों, गलियों और बाजारों में मकड़ी के जाले की तरह फैले और उलझे हुए तारों के जंजाल (Tangled Wires) को हटाने का एक महत्वाकांक्षी अभियान शुरू किया जा रहा है। इस गंभीर समस्या से निजात पाने के लिए महानगर में एक पायलट परियोजना (Pilot Project) का शुभारंभ किया गया है, जिसकी शुरुआत शहर के व्यस्ततम इलाकों में से एक, पुरानी रेलवे रोड (Old Railway Road Jalandhar) से की जा रही है।
इस महत्वपूर्ण पहल के संबंध में, उपायुक्त (डीसी) डॉ. हिमांशु अग्रवाल की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में पावरकॉम (Powercom Jalandhar), भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल – BSNL), विभिन्न निजी दूरसंचार कंपनियों (Telecom Companies) और नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारी प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
अधिकारियों को सख्त निर्देश, शहर होगा तार-मुक्त
बैठक के दौरान, डीसी डॉ. हिमांशु अग्रवाल ने संबंधित सभी विभागों के अधिकारियों को शहर भर में लटक रहे बेकार, निष्क्रिय, टूटे-फूटे और अवैध रूप से खींचे गए तारों को तत्काल प्रभाव से हटाने के कड़े निर्देश जारी किए। समीक्षा बैठक में डीसी डॉ. अग्रवाल ने इस समस्या की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा कि शहर की अनेक सड़कों, बाजारों और रिहायशी कॉलोनियों की गलियों में पुराने, अनुपयोगी और खतरनाक तरीके से लटकते हुए तार आम तौर पर देखे जा सकते हैं। यह तारों का उलझाव (Wire Clutter) न केवल शहर की सुंदरता पर एक बदनुमा दाग है, बल्कि यह आम नागरिकों, विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों के जीवन के लिए एक गंभीर खतरा भी पैदा करता है। ये तार अक्सर दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।
उन्होंने बिजली विभाग, दूरसंचार कंपनियों (सरकारी और निजी दोनों) और नगर निगम के अधिकारियों को स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसे सभी तार, जिनका उपयोग बिजली आपूर्ति, टेलीफोन कनेक्शन या इंटरनेट सेवाओं के लिए नहीं हो रहा है, उन्हें युद्धस्तर पर हटाया जाए। इसके लिए एक संयुक्त कार्रवाई दल (Joint Action Team) बनाने का भी सुझाव दिया गया ताकि विभिन्न विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित हो सके।
पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत और उसका महत्व
उपायुक्त ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि यह पायलट परियोजना (Jalandhar Pilot Project) प्रथम चरण में पुरानी रेलवे रोड पर स्थित प्रसिद्ध चिंतपूर्णी मंदिर (Chintpurni Mandir Jalandhar) के आसपास के क्षेत्र से शुरू की जा रही है। उन्होंने इस विशेष स्थान के चयन का कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि मंदिर के आसपास के खंभों और दीवारों पर असंख्य तारों का एक घना जाल बिछा हुआ है। चूंकि यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, यहाँ श्रद्धालुओं और आम लोगों की आवाजाही भी काफी अधिक रहती है, जिससे किसी भी प्रकार की दुर्घटना की आशंका और बढ़ जाती है। इसी कारण, यह क्षेत्र हादसों के प्रति अधिक संवेदनशील हो गया है।
उपायुक्त डॉ. अग्रवाल ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बरसात के मौसम में या तेज हवा चलने के दौरान, ये ढीले और जर्जर तार टूटकर नीचे गिर सकते हैं। इससे न केवल लोगों को करंट लगने से जान जाने का खतरा रहता है, बल्कि इनके कारण सड़कों पर फिसलकर चोट लगने या बड़े वाहनों के इनमें उलझकर दुर्घटनाग्रस्त होने की भी संभावना बनी रहती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस अभियान का उद्देश्य केवल तारों को हटाना ही नहीं, बल्कि भविष्य में तारों को व्यवस्थित तरीके से बिछाने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure – SOP) विकसित करना भी है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि पुरानी रेलवे रोड पर यह पायलट प्रोजेक्ट (Project to Remove Wires) पूरी तरह सफल रहता है, तो इसी मॉडल को चरणबद्ध तरीके से पूरे जालंधर शहर में लागू किया जाएगा, ताकि पूरे महानगर को तारों के इस खतरनाक जंजाल (Hazardous Wire Network) से मुक्त किया जा सके। इससे न केवल शहर का सौंदर्यीकरण (City Beautification) होगा, बल्कि नागरिक सुरक्षा (Citizen Safety) भी सुनिश्चित होगी और जालंधर एक स्मार्ट सिटी (Smart City Jalandhar) के मानकों के और करीब पहुंचेगा। प्रशासन ने आम जनता से भी इस कार्य में सहयोग करने और किसी भी खतरनाक तार की सूचना तुरंत संबंधित विभाग को देने की अपील की है।