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Amazing Rail Route: चीन की हवा में लटकती ट्रेन भी इसके आगे फेल, मिलिए दुनिया की सबसे अद्भुत गोटहार्ड बेस टनल से

Published On: June 25, 2025
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Amazing Rail Route: चीन की हवा में लटकती ट्रेन भी इसके आगे फेल, मिलिए दुनिया की सबसे अद्भुत गोटहार्ड बेस टनल से
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Amazing Rail Route: जब भी हम ट्रेन यात्रा की कल्पना करते हैं, तो हमारे मन में जमीन के ऊपर पटरियों पर दौड़ती रेलगाड़ियां, ऊंचे-ऊंचे पुलों को पार करती ट्रेनें, या पहाड़ों का सीना चीरकर सुरंगों से गुजरती रेल की तस्वीरें उभरती हैं। हमने समुद्र के बीच से गुजरने वाली ट्रेनों के बारे में भी सुना है और चीन ने तो हवा में लटकती हुई (मैग्लेव) ट्रेन का भी निर्माण कर दिखाया है। लेकिन आज हम जिस अद्भुत रेल मार्ग (Amazing Rail Route) की बात कर रहे हैं, वह इन सबसे कहीं आगे और अद्वितीय है। यह एक ऐसी रेलवे सुरंग है जहां ट्रेनें जमीन के 2450 मीटर (लगभग 2.5 किलोमीटर) नीचे से गुजरती हैं! यह है दुनिया की सबसे गहरी रेलवे सुरंग (World’s Deepest Railway Tunnel), जिसे बनाने में पूरे 17 साल का लंबा वक्त और अथाह मानव श्रम लगा।

स्विट्जरलैंड की शान: गोटहार्ड बेस टनल (Gotthard Base Tunnel – GBT)

यह इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना स्विट्जरलैंड में स्थित है और इसे गोटहार्ड बेस टनल (Gotthard Base Tunnel – GBT) के नाम से जाना जाता है। यह सुरंग न केवल दुनिया की सबसे गहरी रेलवे सुरंग होने का खिताब अपने नाम करती है, बल्कि यह दुनिया की सबसे लंबी रेलवे सुरंग (World’s Longest Railway Tunnel) भी है। इसकी कुल लंबाई 57.1 किलोमीटर (लगभग 35.5 मील) है, और इसकी अधिकतम गहराई सतह से 2450 मीटर तक पहुँचती है। इस सुरंग का निर्माण कार्य अत्यंत चुनौतीपूर्ण था, जिसे पूरा करने में 17 वर्षों का समय लगा।

निर्माण का महायज्ञ: 17 साल, 2600 लोग और 1250 मिलियन डॉलर की लागत

इस महत्वाकांक्षी परियोजना को साकार करने में लगभग 2600 कुशल श्रमिकों और इंजीनियरों (2600 Workers and Engineers) ने दिन-रात काम किया। इस विशाल निर्माण कार्य की अनुमानित लागत लगभग 1250 मिलियन डॉलर (1.25 बिलियन डॉलर) या लगभग 12.2 बिलियन स्विस फ़्रैंक थी। यह सुरंग एक महत्वपूर्ण यूरोपीय परिवहन गलियारे का हिस्सा है, जो नीदरलैंड के रॉटरडैम (Rotterdam) बंदरगाह को इटली के जेनोआ (Genoa) बंदरगाह से जोड़ती है, जिससे माल ढुलाई और यात्री परिवहन दोनों में क्रांतिकारी बदलाव आया है।

इस अति-गहरी रेल सुरंग (Ultra-Deep Rail Tunnel) से गुजरने वाली ट्रेनों की गति भी आश्चर्यजनक है। यात्री ट्रेनें आमतौर पर इस मार्ग से 200 से 220 किलोमीटर प्रति घंटे (200-220 km/h) की रफ्तार से गुजरती हैं, जबकि कुछ हिस्सों में परीक्षण के दौरान इन्हें 250 किलोमीटर प्रति घंटे तक भी चलाया गया है।

लंबाई में भी नंबर वन, तोड़ा जापान का रिकॉर्ड:

गोटहार्ड बेस टनल ने न केवल गहराई में बल्कि लंबाई में भी कीर्तिमान स्थापित किया है। अपनी 57.09 किलोमीटर की लंबाई के साथ इसने जापान की सेकान सुरंग (Seikan Tunnel) को पीछे छोड़ दिया, जिसकी लंबाई 53.9 किलोमीटर है। इसके अलावा, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस को जोड़ने वाली प्रसिद्ध चैनल टनल (Channel Tunnel), जिसकी लंबाई 50.5 किलोमीटर है, भी इससे छोटी है। यह सुरंग प्रसिद्ध स्विस आल्प्स पर्वतों (Swiss Alps Mountains) के नीचे से होकर गुजरती है, जो इसे और भी खास बनाती है।

यात्रा के समय में कटौती और कनेक्टिविटी में सुधार:

इस सुरंग के निर्माण का एक प्रमुख उद्देश्य यात्रा के समय को कम करना और यूरोप के भीतर कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना था। गोटहार्ड बेस टनल की मदद से ज्यूरिख (Zurich) और मिलान (Milan) जैसे प्रमुख यूरोपीय शहरों के बीच की यात्रा का समय काफी कम हो गया है। पहले जहां इस यात्रा को पूरा करने में लगभग 4 घंटे लगते थे, वहीं अब यह दूरी महज 3 घंटे में पूरी हो जाती है, जिससे यात्रियों को लगभग 1 घंटे की बचत होती है।

माल ढुलाई और पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका:

यात्री ट्रेनों के अलावा, यह सुरंग माल परिवहन (Freight Transport) के लिए भी विशेष रूप से डिजाइन की गई है। अनुमान है कि प्रतिदिन लगभग 260 मालगाड़ियां (Freight Trains) इस सुरंग से होकर गुजरती हैं। यह सुरंग न केवल ट्रेनों के लिए समय की बचत करती है, बल्कि परिवहन लागत को भी कम करने में मदद करती है। इस अत्याधुनिक रेलवे लाइन (State-of-the-art Railway Line) के माध्यम से माल के परिवहन को सड़क मार्ग से हटाकर रेल मार्ग पर लाने से ट्रैफिक जाम कम होता है और सबसे महत्वपूर्ण, यह पर्यावरण संरक्षण (Environmental Protection) में भी अहम भूमिका निभा रही है। ट्रकों के उपयोग में कमी से कार्बन उत्सर्जन और वायु प्रदूषण (Air Pollution) को कम करने में मदद मिलती है, जिससे यूरोपीय आल्प्स के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा होती है।

गोटहार्ड बेस टनल सिर्फ एक इंजीनियरिंग का चमत्कार नहीं है, बल्कि यह सतत विकास, कुशल परिवहन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का भी एक प्रतीक है। यह दर्शाती है कि मानव दृढ़ संकल्प और नवीन तकनीक के माध्यम से प्रकृति की सबसे बड़ी चुनौतियों पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है।


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