International Politics: अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के गलियारों में उस समय एक बड़ी हलचल मच गई जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) अचानक जी-7 शिखर सम्मेलन (G-7 Summit) को बीच में ही छोड़कर चले गए। उनके इस अप्रत्याशित कदम ने कई कयासों और अटकलों को जन्म दे दिया है, जिनमें सबसे गंभीर और चिंताजनक अटकल यह है कि संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America), ईरान के किसी गुप्त परमाणु बम बनाने की सुविधा (Iranian bomb-making facility) को नष्ट करने के लिए एक बड़े सैन्य अभियान की तैयारी कर रहा है। खबरों के अनुसार, इस संभावित हमले में अमेरिका अपनी सबसे घातक मिसाइलों में से एक, ‘बंकर-बस्टर’ (Bunker Buster Missile) का इस्तेमाल कर सकता है, जो जमीन के नीचे गहरे बने मजबूत ठिकानों को भी भेदने में सक्षम है।
ट्रंप का G7 से अचानक जाना: क्या हैं मायने?
जी-7 (G7 countries), जो दुनिया की सात सबसे बड़ी विकसित अर्थव्यवस्थाओं का समूह है, वर्तमान में एक महत्वपूर्ण शिखर बैठक कर रहा था, जिसमें वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होनी थी। ऐसे प्रतिष्ठित मंच से किसी राष्ट्र के प्रमुख का, विशेषकर अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश के प्रतिनिधि का, बिना किसी स्पष्ट कारण के अचानक चले जाना कई गंभीर सवाल खड़े करता है। डोनाल्ड ट्रंप के इस कदम (Donald Trump’s move) ने न केवल राजनयिक प्रोटोकॉल पर प्रश्नचिह्न लगाया है, बल्कि इसने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों (International Relations) में एक नई अनिश्चितता भी पैदा कर दी है। विश्लेषकों का मानना है कि यह किसी बड़ी और गोपनीय कार्रवाई का संकेत हो सकता है, जिसके लिए ट्रंप को व्यक्तिगत रूप से वाशिंगटन में उपस्थित रहने की आवश्यकता हो।
ईरान पर ‘बंकर-बस्टर’ हमले की अटकलें क्यों?
ट्रंप के जाने के तुरंत बाद, विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और खुफिया सूत्रों के हवाले से यह खबर तेजी से फैली कि अमेरिका, ईरान के परमाणु कार्यक्रम (Iran’s Nuclear Program) से जुड़े किसी महत्वपूर्ण और संभवतः भूमिगत ठिकाने को निशाना बना सकता है।
- ईरानी बम बनाने की सुविधा का संदेह: लंबे समय से पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका और इज़राइल को यह संदेह रहा है कि ईरान गुप्त रूप से परमाणु हथियार विकसित करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि ईरान हमेशा इन आरोपों का खंडन करता आया है और उसका कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है।
- ‘बंकर-बस्टर’ मिसाइल का महत्व: ‘बंकर-बस्टर’ मिसाइलें (जैसे GBU-28 या GBU-57 MOP) विशेष रूप से कंक्रीट और स्टील से बने गहरे भूमिगत बंकरों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। यदि अमेरिका ऐसी किसी मिसाइल का उपयोग करने पर विचार कर रहा है, तो यह स्पष्ट संकेत है कि लक्ष्य कोई अत्यंत महत्वपूर्ण और সুরক্ষিত भूमिगत सुविधा हो सकती है, जैसे कि यूरेनियम संवर्धन संयंत्र या मिसाइल निर्माण इकाई। यह अमेरिकी सैन्य रणनीति (US Military Strategy) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है।
- मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव (Rising Tensions in the Middle East): अमेरिका और ईरान के बीच संबंध पिछले कई वर्षों से तनावपूर्ण रहे हैं, खासकर 2015 के परमाणु समझौते (JCPOA) से अमेरिका के हटने और ईरान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने के बाद। क्षेत्र में छिटपुट सैन्य झड़पें और प्रॉक्सी युद्ध भी देखने को मिले हैं।
संभावित परिणाम और वैश्विक चिंताएं (Potential Consequences and Global Concerns):
यदि ये अटकलें सच साबित होती हैं और अमेरिका ईरान पर हमला करता है, तो इसके गंभीर और दूरगामी परिणाम हो सकते:
- बड़े पैमाने पर संघर्ष का खतरा: ईरान एक क्षेत्रीय शक्ति है और वह किसी भी अमेरिकी हमले का जोरदार जवाब दे सकता है। इससे मध्य पूर्व (Middle East) में एक व्यापक युद्ध छिड़ सकता है, जिसमें अन्य देश भी शामिल हो सकते हैं।
- वैश्विक तेल आपूर्ति पर असर: मध्य पूर्व दुनिया का प्रमुख तेल उत्पादक क्षेत्र है। किसी भी बड़े संघर्ष से तेल की आपूर्ति बाधित हो सकती है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय तेल की कीमतें (Global Oil Prices) आसमान छू सकती हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- परमाणु अप्रसार प्रयासों को झटका: यदि ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला होता है, तो यह वैश्विक परमाणु अप्रसार संधि (NPT) और संबंधित प्रयासों के लिए एक बड़ा झटका होगा।
- मानवीय संकट: किसी भी सैन्य कार्रवाई में निर्दोष नागरिकों की जान जाने और बड़े पैमाने पर विस्थापन का खतरा रहता है।
आधिकारिक पुष्टि का अभाव और भविष्य की अनिश्चितता
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अभी तक न तो व्हाइट हाउस (White House) और न ही पेंटागन (Pentagon) ने इन अटकलों पर कोई आधिकारिक बयान दिया है। डोनाल्ड ट्रंप का जी7 छोड़ना (Trump leaving G7) और ईरान पर हमले की योजना (Plan to attack Iran) की खबरें फिलहाल अपुष्ट सूत्रों पर आधारित हैं। फिर भी, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय स्थिति पर करीब से नजर बनाए हुए है। दुनिया भर के नेता संयम बरतने और किसी भी ऐसे कदम से बचने की अपील कर रहे हैं जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है।
आने वाले कुछ दिन और घंटे यह स्पष्ट करेंगे कि इन अटकलों में कितनी सच्चाई है और क्या दुनिया एक और बड़े संघर्ष के मुहाने पर खड़ी है। अमेरिकी विदेश नीति (US Foreign Policy) और ईरान संकट (Iran Crisis) एक बार फिर वैश्विक चर्चा के केंद्र में हैं।