Sensex crashes
भारतीय शेयर बाजार में आज भारी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 700 से अधिक अंक लुढ़क गया, जबकि निफ्टी 1% की गिरावट के साथ 22,562 के स्तर पर आ गया। वैश्विक आर्थिक चिंताओं और विदेशी पूंजी के बहिर्वाह के कारण बाजार दबाव में आ गया है।
लगातार पांचवें सत्र में गिरावट, सेंसेक्स में 757 अंकों की गिरावट
भारतीय शेयर बाजार सोमवार, 24 फरवरी को लगातार पांचवें दिन गिरावट के साथ खुला। कमजोर वैश्विक संकेतों, अमेरिका और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार युद्ध की आशंका और विदेशी निवेशकों द्वारा बिकवाली के चलते सेंसेक्स 757 अंक गिरकर 74,554 के स्तर पर पहुंच गया।
निफ्टी 50 ने 22,609.35 पर ओपनिंग की, लेकिन जल्द ही यह 1% की गिरावट के साथ 22,562 तक फिसल गया। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी जबरदस्त बिकवाली देखने को मिली, जिससे बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स भी 1% से अधिक गिर गए।
भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के 5 बड़े कारण
1. वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों के कारण वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई है। अगर अमेरिका और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ता है, तो यह वैश्विक आर्थिक विकास को नुकसान पहुंचा सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ट्रंप के टैरिफ फैसले आगे भी जारी रहे, तो इससे वैश्विक मुद्रास्फीति (inflation) और आर्थिक सुस्ती (slowdown) और गहरा सकती है।
2. विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली (FPI Selling)
अक्टूबर 2024 से ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भारतीय बाजार से लगातार पैसे निकाल रहे हैं। ऊंचे बाजार मूल्यांकन, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के चलते एफपीआई भारतीय शेयरों को बेच रहे हैं।
आंकड़ों के अनुसार, फरवरी (21 तारीख तक) में एफपीआई ने भारतीय शेयरों से लगभग ₹37,000 करोड़ की निकासी की है। अक्टूबर 2024 से अब तक वे कुल ₹3 लाख करोड़ के शेयर बेच चुके हैं, जिससे भारतीय बाजार पर दबाव बढ़ गया है।
3. चीन का उभरता शेयर बाजार
चीन के शेयर बाजार में हाल के दिनों में अच्छी तेजी देखी गई है। निवेशकों को भारतीय शेयर बाजार की तुलना में चीन में ज्यादा आकर्षक अवसर दिख रहे हैं, जिससे पूंजी का प्रवाह भारतीय बाजार से हटकर चीन की ओर हो रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, “चीनी शेयरों में तेज़ी से निवेशकों को ‘Sell India, Buy China’ रणनीति अपनाने के लिए प्रेरित किया है। जब तक चीनी शेयर आकर्षक बने रहेंगे, भारतीय बाजार पर दबाव बना रहेगा।”
4. ब्याज दरों में कटौती पर अनिश्चितता
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की ब्याज दरों में कटौती को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है। वैश्विक स्तर पर महंगाई की ऊंची दरों के चलते केंद्रीय बैंक जल्द कटौती नहीं कर सकता, जिससे निवेशकों की धारणा कमजोर हुई है।
5. कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे
भारतीय कंपनियों के हाल के तिमाही नतीजे उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहे हैं। आईटी, बैंकिंग और मेटल सेक्टर की कई कंपनियों के प्रदर्शन में गिरावट देखी गई है, जिससे निवेशकों का विश्वास कमजोर हुआ है और शेयर बाजार में बिकवाली का दबाव बढ़ा है।
आगे क्या उम्मीद की जाए?
विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रहेगी और वैश्विक बाजारों में स्थिरता नहीं आएगी, भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। निवेशकों को जल्दबाजी में फैसला लेने के बजाय लंबी अवधि के नजरिए से निवेश की रणनीति अपनानी चाहिए।